पहले से भरे आयकर रिटर्न फॉर्म (आईटीआर) से करदाता का काम तो बहुत आसान हो जाता है क्योंकि उसे फॉर्म में हरेक जगह पर एक-एक जानकारी खुद ही भरने का झंझट नहीं करना पड़ता। मगर झंझट से मुक्ति का मतलब लापरवाही बरतना नहीं है। ऐसा न हो कि करदाता एकदम बेपरवाह हो जाए और पहले से भरी हुई जानकारी पर नजर भी नहीं डाले क्योंकि हर बार यह जानकारी बिल्कुल ठीक नहीं होती। यदि किसी कारण से कोई व्यक्ति अपने सभी भारतीय या अंतरराष्ट्रीय जमा खातों से होने वाली ब्याज आय के बारे में सूचना देना भूल जाता है तो उस पर दंडात्मक कार्रवाई हो सकती है। उस सूरत में वह ऐसा कहकर नहीं बच सकता कि फॉर्म में यह जानकारी पहले से ही गलत भरी थी और वह उस पर ध्यान नहीं दे सका। यह बात ध्यान रखते हुए करदाता को विभिन्न प्रकार की ब्याज आय पर मिलने वाले फायदों के बारे में भी अच्छी तरह पता होना चाहिए ताकि उसका कम के कम कर कटे।
धारा 80टीटीए
करदाता को इस धारा के तहत 10,000 रुपये तक की राशि पर कर छूट हासिल हो सकती है। व्यक्तिगत करदाता और हिंदू अविभाजित परिवार दोनों को ही यह छूट ले सकते हैं। ब्याज आय ऐसे बचत खाते से होनी चाहिए, जो किसी बैंक में हो या बैंकिंग कारोबार से जुड़ी सहकारी समिति, जमीन गिरवी रखने वाले सहकारी बैंक, सहकारी भूमि विकास बैंक अथवा डाकघर में हो।
टैक्समैनेजर डॉट इन के मुख्य कार्य अधिकारी दीपक जैन कहते हैं, ‘सावधि जमा से मिलने वाले ब्याज पर कर छूट की यह सुविधा नहीं मिलती।’ संयुक्त खाताधारकों के लिए नियम समझाते हुए प्रिवी लीगल सर्विस एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर मोइज के रफीक बताते हैं, ‘संयुक्त खाते से होने वाली ब्याज आय पर सभी खाताधारकों को बराबर कर चुकाना पड़ता है।’
धारा 80टीटीबी
यह कर छूट वरिष्ठ नागरिकों (60 साल या अधिक उम्र) को जमा पर मिलने वाले ब्याज के लिए दी जाती है। आरएसएम इंडिया के संस्थापक सुरेश सुराणा कहते हैं, ‘यह कर छूट सावधि जमा और बचत खाता जमा दोनों पर मिलने वाले ब्याज के लिए होती है।’ इसमें राशि किसी बैंक में, सहकारी समिति में या डाकघर में जमा हो सकती है। सुराणा बताते हैं, ‘कुल सकल आय में शामिल बचत आय या 50,000 रुपये में से जो राशि कम हो, उसी पर कर छूट ली जा सकती है।’
धारा 10(15)(1)
बहुत कम लोगों को पता है कि आयकर अधिनियम की धारा 10(15)(1) के तहत वे अतिरिक्त कर छूट भी हासिल कर सकते हैं।
पीएसएल एडवोकेट्स ऐंड सॉलिसिटर्स में मैनेजिंग पार्टनर संदीप बजाज बताते हैं, ‘डाकघर बचत खाते से मिली ब्याज आय पर कर छूट मिलती है। व्यक्तिगत खाते में 3,500 रुपये तक के ब्याज पर और संयुक्त खाते में 7,000 रुपये तक की ब्याज आय पर हर वित्त वर्ष में छूट ली जा सकती है।’ यह छूट अधिसूचित प्रतिभूतियों, बॉन्ड, एन्युइटी सर्टिफिकेट, बचत तथा अन्य सर्टिफिकेट से ब्याज आय या उन्हें भुनाने पर मिलने वाले प्रीमियम अथवा उनसे होने वाले अन्य भुगतान पर भी लागू होती है। जैन बताते हैं, ‘यह छूट नई और पुरानी दोनों प्रकार की कर व्यवस्था में मिलती है।’
मगर ध्यान रहे
कोई भी व्यक्ति या तो धारा 80टीटीए के तहत कर छूट ले सकता है या 80टीटीबी के तहत। दोनों धाराओं में एक साथ छूट नहीं ली जा सकती। मगर उनके साथ धारा 10(15)(1) के तहत कर छूट का दावा किया जा सकता है। बजाज कहते हैं, ‘व्यक्तिगत खाते के लिए अधिकतम 13,500 रुपये की ब्याज आय पर छूट ली जा सकती है। संयुक्त खाते के लिए यह सीमा 17,000 रुपये है। वरिष्ठ नागरिकों को व्यक्तिगत खाते पर 53,500 रुपये और संयुक्त खाते पर 57,000 रुपये तक की ब्याज आय पर आयकर छूट मिलती है।’
डाकघर बचत खाते से मिलने वाले ब्याज जैसी कुछ प्रकार की ब्याज आय दोनों धाराओं के तहत कर छूट की पात्र हो सकती है। रफीक बताते हैं, ‘डाकघर बचत खातों से मिलने वाला 3,500 रुपये तक का ब्याज धारा 10(15) के तहत कर छूट का पात्र होता है और करदाता धारा 80टीटीए के तहत 10,000 रुपये तक की राशि पर कर छूट का दावा भी कर सकता है। लेकिन एक ही राशि पर दो बार कर छूट का दावा नहीं हो सकता।’ सुराणा समझाते हैं, ‘धारा 80टीटीए के तहत मिलने वाली कर छूट धारा 10(15)(1) के तहत छूट के अतिरिक्त है। इसका मतलब है कि पहले धारा 10(15) के तहत कर छूट दी जाती है और उसके बाद कर छूट का और भी फायदा देने के इरादे से धारा 80टीटीए के तहत कर छूट उपलब्ध कराई जाती है।’
यदि आपको डाकघर बचत खाते से 10,000 रुपये का ब्याज मिलता है तो पहले आपको 3,500 रुपये ब्याज पर कर छूट का दावा करना होगा और उसके बाद बची हुई राशि यानी 6,500 रुपये पर आप धारा 80टीटीए के तहत छूट मांग सकते हैं।