भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जानकीरमन ने सोमवार को कहा कि किसानों की जरूरतों को पूरा करने के लिए पारंपरिक ऋण देने के तरीकों की अपनी सीमाएं हैं। पारंपरिक तौर पर ऋण मौसम विशेष में दिया जाता है और इसके फायदे आमतौर पर लंबित या कम होते हैं।
लिहाजा किसानों के लिए लचीले और उनकी जरूरतों के अनुकूल नवोन्मेषी वित्तीय तरीकों की जरूरत है। इसके अलावा फसल बीमा भी मौसम की अनिश्चितता से संबंधित जोखिम को कम करने में कारगर हो सकती है।
स्वामीनाथन ने इंटरनैशनल रिसर्च कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘टिकाऊ बदलाव के लिए जरूरी पूंजी मुहैया कराना आवश्यक है और इसके लिए मिश्रित मॉडल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसमें सार्वजनिक कोष का इस्तेमाल निजी निवेश बढ़ाने के लिए किया जा सकता है। इससे न केवल विभिन्न स्रोतों से संसाधन जुटाए जा सकते हैं बल्कि जोखिम व रिटर्न भी ज्यादा न्यायसंगत तरीके से बांटा जा सकता है।’
उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 24 में कृषि को दी जाने वाली संस्थागत उधारी सर्वकालिक उच्चतम स्तर 25.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई। करीब 7.4 करोड़ सक्रिय किसान क्रेडिट कार्ड विशेषतौर पर अल्पावधि की जरूरतों के लिए ऋण मुहैया करवाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इस क्रम में समय विशेष व लचीले ढंग से ऋण मुहैया करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि, ‘हालांकि ऋण तक पहुंच बनाने में क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करना महत्त्वपूर्ण मसला बना हुआ है।’ यदि यह सुनिश्चित हो जाता है कि सभी स्थानों के किसानों को समय पर व पर्याप्त ऋण मुहैया करवाया जाता है तो कृषि में हम सततता और विषमता की चुनौतियों को बेहतर ढंग से हल कर सकेंगे।
उन्होंने जोर देकर कहा कि टिकाऊ तरीकों जैसे ऑर्गेनिक खेती, जलवायु परिवर्तन से निपटने की स्मार्ट तकनीकें और आधुनिक सिंचाई प्रणालियां महंगी हो सकती हैं लेकिन इनसे दीर्घकालिक फायदे हो सकते हैं। इन चिरस्थायी तरीकों से उत्पादन सुधरेगा, कृषि उत्पादन बढ़ेगा और पर्यावरण का जिम्मेदाराना ढंग से संरक्षण हो सकेगा।
उन्होंने कहा, ‘किफायती वित्तीय विकल्पों तक पहुंच के बिना चिरस्थायी कृषि के तरीकों को अपनाने का ख्वाब कई लोगों के लिए दूर की कौड़ी साबित होगा।’ उन्होंने कहा कि सतत तरीके से धन जुटाने से न केवल पर्यावरण अनुकूल तरीकों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि सबसे ज्यादा जरूरतमंद किसानों तक वित्तीय संसाधन उपलब्ध होना सुनिश्चित हो पाएगा। इससे किसानों तक न्यायसंगत तरीके से साधन, तकनीक और जानकारी की पहुंच हो सकेगी। इसके अलावा स्वामीनाथन ने कहा कि आगे बढ़ने के लिए दो महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करना अनिवार्य होगा।