बीएस बातचीत
बीएनपी पारिबा के इंडिया इक्विटी रिसर्च प्रमुख कुणाल वोरा का कहना है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा बिकवाली बरकरार रह सकती है, लेकिन विदेशी भागीदारी घटकर वर्ष के निचले स्तर पर पहुंच गई है जो बफर के तौर पर काम कर सकती है। समी मोडक के साथ साक्षात्कार में वोरा ने कहा कि वृद्घि में नरमी और बढ़ते उत्पादन लागत दबाव से आय डाउनग्रेड को बढ़ावा मिला सकता है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
भारतीय इक्विटी बाजारों से एफपीआई बिकवाली के मुख्य कारण क्या हैं
प्रमुख जिंसों में बढ़ती महंगाई और वैश्विक तौर पर ऊंचे बॉन्ड प्रतिफल से विदेशी निवेशकों के लिए चुनौती बनी रह सकती है और इससे उभरते बाजारों में पूंजी निकासी को बढ़ावा मिल सकता है। विदेशी निवेशक बढ़ते ब्याज दर परिदृश्य में सुरक्षित निवेश की संभावना तलाश रहे हैं। खासकर भारत के लिए, कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंचने से मुद्रास्फीति दबाव बढ़ सकता है, चालू खाता घाटा बढ़ सकता हे और केंद्रीय बजट अनुमान गड़बड़ा सकते हैं, वृहद आर्थिक स्थिरता और भारतीय के लिए अल्पावधि परिदृश्य प्रभावित हो सकता है। वित्त वर्ष 2022 में, भारत ने 18 अरब डॉलर की शुद्घ पूंजी निकासी दर्ज की, लेकिन पिछले तीन साल में भारत ने 38 अरब डॉलर की पूंजी आकर्षित की, जो उसके एशियाई प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले ज्यादा है। लगातार घरेलू और विदेशी प्रवाह के साथ एशियाई प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले भारत का मूल्यांकन प्रीमियम बढ़ा है और यह भारत में एफपीआई बिकवाली का अन्य कारण हो सकता है।
क्या आप मानते हैं कि भारतीय बाजार से एफपीआई निकासी बरकरार रहेगी?
जोखिमपूर्ण परिवेश में, एफपीआई पूंजी निकासी तब तक बनी रह सकती है जब वैश्विक हालात सामान्य नहीं हो जाते। इसके अलावा, भारत में एफपीआई निवेश मौजूदा समय में साल के सबसे निचले स्तर पर है और यह एक मजबूत बफर है। एफपीआई होल्डिंग वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान 15 प्रतिशत से 22 प्रतिशत कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच गई, और मौजूदा समय में यह घटकर करीब 18 प्रतिशत के आसपास है। ढांचागत तौर पर, भारत राजनीतिक स्थायित्व और सरकार से लगातार नीतिगत समर्थन के साथ तेजी से बढ़ रही प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।
क्या आप मानते हैं कि भारतीय बाजारों में मजबूत घरेलू पूंजी निवेश बना रहेगा?
कोविड महामारी के प्रसार के बाद से, भारतीय बाजारों में खुदरा भागीदारी में अच्छी तेजी आई है, क्योंकि निवेशकों ने भारत में काफी कम जमा दर की स्थिति को समायोजित किया है। इक्विटी ने पिछले दो साल के दौरान डेट योजनाओं के मुकाबले काफी बेहतर प्रतिफल दिया है और निवेशक तेज मुद्रास्फीति के बीच अपनी खरीदारी क्षमता सुरक्षित बनाने के लिए ऊंचे प्रतिफल की लगातार तलाश में हैं। हमारा मानना है कि एसआईपी में तेज पूंजी प्रवाह बना रहेगा, हालांकि हमें फिलहाल कुछ बदलावों के संदर्भ में इंतजार करने की जरूरत होगी, क्योंकि ब्याज दरें बढ़ी हैं और इक्विटी प्रतिफल में नरमी आई है।
आय सीजन को लेकर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
निफ्टी आय अनुमानों में पिछले कुछ महीनों के दौरान नकारात्मक खबरों के बावजूद बहुत ज्यादा कटौती नहीं की गई है। ताजा सप्ताहों में, आईटी में डाउनग्रेड देखे गए और घरेलू-खपत केंद्रित क्षेत्रों में ऊर्जा तथा मैटेरियल क्षेत्रों के लिए आय अनुमानों से काफी हद तक भरपाई हुई और निफ्टी आय अनुमानों को मदद मिली। वृद्घि में नरमी और बढ़ते उत्पादन लागत दबाव इस आय सीजन में मुख्य थीम रहे हैं और शुरुआती नतीजों में इनका असर दिखा। शुरू में बाजार वित्त वर्ष 2023 में मार्जिन सामान्य रहने की उम्मीद कर रहा था, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्घ के बाद जिंस लागत में ताजा तेजी और आपूर्ति संबंधित समस्याओं की वजह से अब इसकी संभावना नहीं दिख रही है। इसका पूरा प्रभाव सिर्फ जून 2022 तिमाही में ही दिखेगा। इसे ध्यान में रखते हुए कुछ डाउनग्रेड की आशंका है, लेकिन संशोधनों की मात्रा इस पर निर्भर करेगी कि उत्पादन लागत को लेकर स्थिति कैसी रहती है, कंपनियां बिक्री प्रभावित हुए बगैर कीमतें बढ़ाने में किस हद तक सक्षम रहती हैं।
आप कौन से क्षेत्रों पर उत्साहित और नकारात्मक हैं?
हमारा मानना है कि निवेशकों को मौजूदा परिवेश में ज्यादा निवेश लार्ज कैप और रक्षात्मक क्षेत्रों में करना चाहिए। वित्त क्षेत्र अच्छी स्थिति में दिख रहा है और ऋण वृद्घि में तेजी आने की संभावना है तथा इसे बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता तथा मूल्यांकन से मदद मिल सकती है। दूरसंचार क्षेत्र को ऊंची प्रतिस्पर्धा, कम दरों और ऊंची स्पेक्ट्रम लागत के दौर से गुजरना पड़ा है, लेकिन यह भविष्य में और दर वृद्घि की उम्मीदों के साथ आकर्षक दिख रहा है। हक कुछ खास अस्पतालों और घरेलू कंपनियों पर दीर्घावधि नजरिये से उत्साहित हैं। एफएमसीजी जैसी श्रेणियों की खपत प्रभावित हुई है।
बाजार बैंकों और वित्त क्षेत्र पर ओवरवेट रहा है, लेकिन इनमें व्यापार मजबूत नहीं है। क्यों?
पिछले एक साल के दौरान, हमने विदेशी बिकवाली वित्त क्षेत्र में केंद्रित होते देखी है। इसके अलावा, इस सेक्टर के लिए एफपीआई आवंटन भी पारंपरिक तौर पर ज्यादा है, जो इस क्षेत्र के प्रदर्शन के लिए गतिरोध बना हुआ है।