दिसंबर में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन की संख्या 8 प्रतिशत बढ़कर 16.73 अरब पर पहुंच गई, जो नवंबर में 15.48 अरब थी। अप्रैल 2016 में यूपीआई शुरू होने के बाद यह सर्वाधिक लेनदेन है। इस अवधि में लेनदेन का मूल्य भी 8 प्रतिशत बढ़कर 23.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो नवंबर के 21.55 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
दिलचस्प है कि पूरे वर्ष2024 में लेनदेन की संख्या 46 प्रतिशत बढ़कर 172 अरब हो गई है, जो 2023 में 118 अरब थी। वहीं दूसरी ओर भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक मूल्य के हिसाब से लेनदेन 35 प्रतिशत बढ़कर साल के दौरान 247 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 2023 में 183 लाख करोड़ रुपये था। लेनदेन बढ़ने की वजह वस्तुओं या सेवाओं की खरीद के लिए व्यक्तियों से व्यापारियों के साथ लेनदेन है।
अक्टूबर महीने में यूपीआई से 16.58 अरब लेनदेन हुआ, जिसका मूल्य 23.5 लाख करोड़ रुपये था। यह संख्या के हिसाब से पिछला सबसे ऊंचा स्तर और मूल्य के हिसाब से अब तक का उच्चतम स्तर था। सितंबर में लेनदेन की संख्या 15.04 अरब और मूल्य 20.64 लाख करोड़ रुपये थी।
इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) से लेनदेन की संख्या दिसंबर में 8 प्रतिशत बढ़कर 44.1 करोड़ हो गई, जो नवंबर में 40.8 करोड़ और अक्टूबर में 46.7 करोड़ थी। मूल्य के हिसाब से यह दिसंबर में 6.02 लाख करोड़ रुपये था, जो नवंबर के 5.58 लाख करोड़ रुपये से 8 प्रतिशत ज्यादा है।
फास्टैग से लेनदेन भी संख्या के हिसाब से 6 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर में 38.2 करोड़ हो गया है, जो नवंबर में 35.9 करोड़ था। आधार से जुड़ी भुगतान व्यवस्था (एईपीएस) से लेनदेन की संख्या नवंबर के 9.2 करोड़ से 1 प्रतिशत बढ़कर दिसंबर में 9.3 करोड़ हो गई है।