facebookmetapixel
एफपीआई ने किया आईटी और वित्त सेक्टर से पलायन, ऑटो सेक्टर में बढ़ी रौनकजिम में वर्कआउट के दौरान चोट, जानें हेल्थ पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहींGST कटौती, दमदार GDP ग्रोथ के बावजूद क्यों नहीं दौड़ रहा बाजार? हाई वैल्यूएशन या कोई और है टेंशनउच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती हैEditorial: बारिश से संकट — शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्काल योजनाओं की आवश्यकताGST 2.0 उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन गहरी कमजोरियों को दूर करने में कोई मदद नहीं करेगागुरु बढ़े, शिष्य घटे: शिक्षा व्यवस्था में बदला परिदृश्य, शिक्षक 1 करोड़ पार, मगर छात्रों की संख्या 2 करोड़ घटीचीन से सीमा विवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान का छद्म युद्ध दूसरा खतरा: CDS अनिल चौहानखूब बरसा मॉनसून, खरीफ को मिला फायदा, लेकिन बाढ़-भूस्खलन से भारी तबाही; लाखों हेक्टेयर फसलें बरबादभारतीय प्रतिनिधिमंडल के ताइवान यात्रा से देश के चिप मिशन को मिलेगी बड़ी रफ्तार, निवेश पर होगी अहम चर्चा

पेमेंट्स बैंकों की सरकार से मांग, डिपॉजिट लिमिट ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की जाए

अप्रैल 2021 में आखिरी बार यह सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख की गई थी। पेमेंट्स बैंकों ने यह भी अनुरोध किया है कि उन्हें माइक्रोफाइनेंस सेक्टर को लोन देने की अनुमति दी जाए।

Last Updated- March 21, 2025 | 9:03 AM IST
payment banks
Representative image

पेमेंट्स बैंकों ने केंद्र सरकार से एक खाते में अधिकतम डिपॉजिट सीमा को ₹2 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने की मांग की है। यह मांग हाल ही में दिल्ली में वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के सचिव एम. नागराजू की अध्यक्षता में हुई बैठक में की गई। बैठक में शामिल एक सूत्र के मुताबिक, बैंकों ने सरकार के सामने यह सुझाव रखा।

गौरतलब है कि अप्रैल 2021 में आखिरी बार यह सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹2 लाख की गई थी। इसके अलावा, पेमेंट्स बैंकों ने सरकार से यह भी अनुरोध किया है कि उन्हें माइक्रोफाइनेंस सेक्टर को लोन देने की अनुमति दी जाए। हालांकि, बैंकों ने लोन की अधिकतम सीमा तय करने की बात भी कही है ताकि उनकी आय के स्रोतों में विविधता लाई जा सके।

अगर मंजूरी मिलती है तो यह मौजूदा लाइसेंसिंग सिस्टम से हटकर एक बड़ा कदम होगा, जिसमें पेमेंट्स बैंकों को सिर्फ सरकारी सिक्योरिटीज़ में निवेश करने की अनुमति है। सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में हुई एक बैठक में पेमेंट्स बैंकों की वित्तीय स्थिति की समीक्षा की गई और सरकार ने उनसे वित्तीय समावेशन (financial inclusion) को लेकर आगे की रणनीति यानी रोडमैप मांगा है।

इस बैठक में स्मॉल फाइनेंस बैंकों (SFBs) के लाइसेंस पर भी चर्चा हुई। मौजूदा गाइडलाइंस के तहत, पेमेंट्स बैंक कम से कम पांच साल का ऑपरेशन पूरा करने के बाद और अन्य शर्तें पूरी करने पर एसएफबी में बदलने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए एक अहम शर्त यह है कि बैंक की पेड-अप वोटिंग इक्विटी कैपिटल या नेट वर्थ कम से कम ₹200 करोड़ होनी चाहिए।

पिछले साल फिनो पेमेंट्स बैंक ने स्मॉल फाइनेंस बैंक का लाइसेंस पाने के लिए आवेदन किया था। इस अहम बैठक में जियो पेमेंट्स बैंक, एयरटेल पेमेंट्स बैंक, फिनो पेमेंट्स बैंक, एनएसडीएल पेमेंट्स बैंक, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक और पेटीएम पेमेंट्स बैंक के प्रतिनिधियों के साथ रिजर्व बैंक के अधिकारी भी शामिल हुए।

वित्तीय सेवा सचिव ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) की सेवाओं की तारीफ करते हुए कहा है कि उसने आर्थिक समावेशन और घर-घर बैंकिंग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने अन्य संस्थानों से भी अपील की है कि वे इस दिशा में और तेजी से काम करें।

सरकारी स्वामित्व वाले इस पेमेंट्स बैंक के देशभर में 650 शाखाएं और 1.63 लाख से ज्यादा एक्सेस प्वाइंट हैं। IPPB ग्राहकों को बचत और चालू खाता, वर्चुअल डेबिट कार्ड, घरेलू मनी ट्रांसफर, बिल और यूटिलिटी पेमेंट, बीमा सेवाएं और 5 साल तक के बच्चों के लिए एनरोलमेंट सर्विस जैसी सुविधाएं देता है।

2015 के अगस्त महीने में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 11 पेमेंट्स बैंक को लाइसेंस दिए थे। लेकिन इनमें से पांच ने काम शुरू करने से पहले ही अपना लाइसेंस वापस कर दिया। अब सिर्फ छह पेमेंट्स बैंक ही काम कर रहे हैं — एयरटेल पेमेंट्स बैंक, पेटीएम पेमेंट्स बैंक, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, फिनो पेमेंट्स बैंक, एनएसडीएल पेमेंट्स बैंक और जिओ पेमेंट्स बैंक।

हाल ही में RBI ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को बड़ा झटका दिया है। केंद्रीय बैंक ने उसे नए ग्राहक जोड़ने और डिपॉजिट लेने से रोक दिया है। इसका मतलब है कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक की सेवाएं अब लगभग बंद हो चुकी हैं।

First Published - March 21, 2025 | 9:03 AM IST

संबंधित पोस्ट