विश्लेषकों का कहना है कि शानदार वित्त वर्ष 2021 के बाद अब निवेश की रफ्तार धीमी पड़ सकती है क्योंकि वैश्विक निवेशक अपनी रणनीति में बदलाव ला रहे हैं। वित्त वर्ष 2021 में भारतीय इक्विटी बाजारों में विदेशी निवेश प्रवाह सात वर्ष की ऊंचाई पर पहुंच गया था। एफआईआई निवेश को शेयर बाजार की दिशा तय करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
जानकारों का मानना है कि भारत समेत उभरते बाजार (ईएम) अल्पावधि से मध्यावधि में विकसित बाजार (डीएम) प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले कमजोर रहेंगे। वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही में, बढ़ते अमेरिकी प्रतिफल से ईएम का आकर्षण कमजोर पड़ सकता है, लेकिन जैसे ही अमेरिकी मुद्रास्फीति और प्रतिफल में नरमी आएगी, ईएम के लिए पूंजी प्रवाह बढ़ेगा।
एवेंडस कैपिटल पब्लिक मार्केट्स अल्टरनेट स्ट्रेटेजीज के सह-मुख्य कार्याधिकारी वैभव सांघवी का कहना है, ‘वैश्विक आर्थिक सुधार, खासकर डीएम में, उम्मीद से बेहतर रहा है। विदेशी निवेशक इस पर ध्यान बनाए रखेंगे कि ब्याज दरें, अमेरिकी डॉलर की चाल, बॉन्ड प्रतिफल और मुद्रास्फीति को लेकर स्थिति कैसी रहेगी।’ सांघवी का कहना है कि इसलिए, भारत समेत ईएम में पूंजी
प्रवाह वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले कमजोर रहेगा।
ज्यादातर ईएम ने वित्त वर्ष 2021 के ज्यादातर हिस्से में मजबूत पूंजी प्रवाह दर्ज किया, क्योंकि वैश्विक केंद्रीय बैंक (खासकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व) ने अनुकूल रुख बनाए रखा है और तरलता पर ध्यान दिया है। इस पृष्ठभूमि में, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने विभिन्न भूभागों और परिसंपत्ति वर्गों में निवेश किया है। आंकड़ों से पता चलता है कि भारत को भी इस निवेश का हिस्सा मिला है क्योंकि एफपीआई ने वित्त वर्ष 2021 में 2.73 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निवेश किया, जो वित्त वर्ष 2013 के बाद से बड़ा निवेश था। पूंजी प्रवाह खासकर अक्टूबर और मार्च के बीच मजबूत दर्ज किया गया था, जब लगातार 6 महीनों तक विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी के शुद्घ खरीदार (1.98 लाख करोड़ रुपये) बने रहे। तुलनात्मक तौर पर, घरेलू निवेशकों ने उन 6 महीनों में 96,000 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की।
इस तरह से, बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50 ने एक दशक में अपना श्रेष्ठ वित्त वर्ष का प्रदर्शन दर्ज किया और इन सूचकांकों में 68 और 71 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई।
नोमुरा की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय इक्विटी बाजार में विदेशी शेयरधारिता बढ़कर 27.6 प्रतिशत तक बढ़ गई, जो 19.6 प्रतिशत के दीर्घावधि औसत से काफी ज्यादा है।
कोविड के बढ़ते मामले
अन्य चिंता कोविड मामलों आई बड़ी तेजीऔर प्रमुख आर्थिक केंद्रों पर प्रतिबंध है। विश्लेषकों का कहना है कि इससे कॉरपोरेट मुनाफा और आय पर प्रभाव पड़ सकता है और आर्थिक रिकवरी की प्रक्रिया सुस्त पड़ सकती है।
आंकड़े से पता चलता है कि इसे ध्यान में रखते हुए विदेशी निवेशक अप्रैल के पहले 10 कारोबारी सत्रों में भारतीय इक्विटी बाजारों से 3,830 करोड़ रुपये की निकासी पहले ही कर चुके हैं। गुरुवार की तेजी को छोड़ दें तो पता चलता है कि सेंसेक्स और निफ्टी-50 में 2-2 प्रतिशत से ज्यादा की कमजोरी आई है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के सह-प्रमुख संजीव प्रसाद ने कहा, ‘कई राज्यों में कोविड के मामलों में तेज वृद्घि से कई शहरों तथा राज्यों में लॉकडाउन लगाया जा सकता है। हालांकि मौजूदा टीकाकरण की पहल और बाद में शुरू हुई रिकवरी के आंकड़े से आर्थिक स्थिति और आय पर कम प्रभाव का संकेत मिलता है। फिर भी अगले कुछ सप्ताहों में इस संबंध में महामारी, अर्थव्यवस्था, आय और मूल्यांकन को लेकर सुर्खियां गंभीर बनी रहेंगी।’ विश्लेषकों का कहना है कि मजबूत आर्थिक सुधार को ध्यान में रखकर एफआईआई/एफपीआई चीन पर ध्यान दे सकते हैं। उनका मानना है कि भारत ईएम प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है।
एफपीआई ने भारतीय बाजारों से 4,615 करोड़ रुपये निकाले
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अप्रैल में अब तक भारतीय बाजारों से 4,615 करोड़ रुप.े निकाले हैं। कोविड-19 के बढ़ते मामलों के बीच विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक प्रतिबंधों की घोषणा के बाद विदेशी निवेशकों में बेचैनी है और वे भारतीय बाजार से निकासी कर रहे हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार विदेशी निवेशकों ने एक से 16 अप्रैल के बीच शेयरों से शुद्ध रूप से 4,643 करोड़ रुपये निकाले और ऋण-पत्र या बॉन्ड बाजार में 28 करोड़ रुपये डाले।
इस तरह भारतीय पू्ंजी बाजार से उनकी शुद्ध निकासी 4,615 करोड़ रुपये रही। एफपीआई ने मार्च में बाजारों में 17,304 करोड़ रुपये, फरवरी में 23,663 करोड़ रुपये और जनवरी में 14,649 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। कोटक सिक्योरिटीज के कार्यकारी उपाध्यक्ष एवं प्रमुख (बुनियादी शोध) रुस्मिक ओझा ने कहा, कई राज्यों ने कोविड-19 पर अंकुश के लिए प्रतिबंधात्मक कदम उठाए हैं। संक्रमण के बढ़ते मामलों तथा भारतीय मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट से आशंकित विदेशी निवेशक धन की निकासी कर रहे हैं।
एलकेपी सिक्योरिटीज के प्रमुख (शोध) एस रंगनाथन ने कहा, कोरोना वायरस के प्रसार की वजह से कुल धारणा प्रभावित हुई है। कई राज्यों ने महामारी का प्रसार रोकने के लिए कदम उठाए हैं। पिछले सप्ताह फार्मा को छोड़कर अन्य सभी सूचकांक नुकसान में रहे। भाषा