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UPI भुगतान पर शुल्क मामला: वित्त मंत्रालय के सामने उठा जटिल मसला

UPI भुगतान पर MDR फिनटेक उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग है क्योंकि उनका कहना है कि ऐसे लेनदेन से उन्हें कोई राजस्व नहीं मिलता है।

Last Updated- February 29, 2024 | 11:33 PM IST
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फिनटेक ने इस सप्ताह की शुरुआत में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बैठक के दौरान यूपीआई लेनदेन में मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) का मसला उठाया था और मंत्री ने इस पर ध्यान दिया। बैठक में शामिल सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी है। एक सूत्र ने कहा ‘कुछ फिनटेक कंपनियों ने भुगतान क्षेत्र में पैसा अर्जित करने के संबंध में बात की और उन्होंने यूपीआई पर एमडीआर न होने की बात कही।’

यूपीआई भुगतान पर एमडीआर फिनटेक उद्योग की लंबे समय से चली आ रही मांग है क्योंकि उनका कहना है कि ऐसे लेनदेन से उन्हें कोई राजस्व नहीं मिलता है। इस कारण वे ग्राहकों को बीमा, म्युचुअल फंड और ऋण वितरण मुहैया कराने जैसे अन्य तरीकों के लिए प्रेरित हुए हैं।

सूत्र ने कहा कि भुगतान कं​पनियों को पैसा कमाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। एक प्रस्ताव यह था कि कुछ एमडीआर शुरू ली जानी चाहिए ताकि हम कुछ पैसा कमा सकें। चूंकि फिनटेक पैसा नहीं कमाती हैं, इसलिए वे पैसा कमाने के लिए ऋण वितरण जैसे अन्य रास्ते तलाशती हैं।

एमडीआर भुगतान के विभिन्न तरीकों पर भुगतान प्रक्रिया सेवाओं के लिए किसी व्यापारी से ली जाने वाली दर होती है। सूत्र ने कहा कि अगर आप हमें भुगतान में पैसा कमाने की अनुमति देते हैं तो हमें भुगतान में खुशी होगी और अन्य गतिविधियों में शामिल नहीं होना पड़ेगा।

अगस्त 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक चर्चा पत्र जारी किया था जिसमें विभिन्न राशि समूह के आधार पर यूपीआई के जरिये किए जाने वाले भुगतान पर स्तर के आधार पर संरचना शुल्क लगाने का प्रस्ताव दिया गया था। चर्चा पत्र में इस पर भी राय मांगी गई थी कि क्या लेनदेन के मूल्य के आधार पर एमडीआर लगाया जाना चाहिए या एमडीआर के रूप में एक निश्चित राशि ली जानी चाहिए, भले ही लेनदेन का मूल्य कुछ भी हो।

First Published - February 29, 2024 | 10:56 PM IST

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