कॉरपोरेट बॉन्ड की फेस वैल्यू एक लाख रुपये से घटाकर 10,000 रुपये करने के बाजार नियामक के हालिया फैसले से ये बॉन्ड खुदरा निवेशकों के लिए और आकर्षक बन सकते हैं। बाजार के प्रतिभागियों के अनुसार इससे उनकी भागीदारी में इजाफा हो सकता है। अक्टूबर 2022 में सेबी ने कॉरपोरेट बॉन्ड की फेस वैल्यू 10 लाख रुपये से घटाकर एक लाख रुपये कर दी थी।
इंडियाबॉन्ड डॉट कॉम के सह-संस्थापक विशाल गोयनका ने कहा कि जारी होने वाले कॉरपोरेट बॉन्ड के 90 फीसदी से ज्यादा हिस्से का निजी नियोजन होता है। ऐसे में निजी नियोजन वाले डेट की फेस वैल्यू में कमी से कॉरपोरेट बॉन्ड बाजारों में खुदरा हिस्से में तेजी आएगी क्योंकि अब निवेश का न्यूनतम आकार घट जाएगा।
उन्होंने कहा कि अभी रिकॉर्ड डेट की पहचान व संदेश की प्रक्रिया जटिल है क्योंकि चलन में काफी अंतर है। इस अवधि को मानकीकृत करने से उद्योग सहजता आएगी, निवेशकों को स्पष्टता मिलेगी और बॉन्ड बाजार अधिक सक्षम होंगे।
सेबी ने भी रिकॉर्ड डेट को किसी ब्याज भुगतान या निवेश निकासी की तारीख से 14 दिन पहले मानकीकृत किया है। इससे पहले एनसीडी पर ब्याज या मूलधन के पुनर्भुगतान का पात्र कौन निवेशक है, यह इश्यू करने वाले पर निर्भर करता था और अलग-अलग हो सकता था।
हालांकि बाजार के एक वर्ग ने मानदंडों मसलन बकाया रकम और इश्यू करने वाले की रेटिंग पर उचित प्रतिबंध की खातिर नियामकीय कदमों की वकालत की है, जिससे कि गलत जानकारी देकर बेचने से पैदा जोखिम कम हो सकें।
इक्विरस कैपिटल के प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) विनय पई ने कहा कि नियमन अच्छा है लेकिन सतर्कता भी होनी चाहिए। कुछ पाबंदी होनी चाहिए जिससे कि गलत जानकारी देकर बिक्री रोकी जा सके और निवेशक हित सुरक्षित रहें।
प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार डेट के निजी नियोजन से वित्त वर्ष 2023-24 में 9.41 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए जो इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा है।
यह पूंजी 904 संस्थानों व कॉरपोरेट ने जुटाई। डेट के निजी नियोजन से नाबार्ड ने सबसे ज्यादा 51,855 करोड़ रुपये जुटाए, जिसके बाद आरईसी (48,976 करोड़ रुपये) और एचडीएफसी (46,062 करोड़ रुपये) का स्थान रहा।
बॉन्डों तक आसान पहुंच से खुदरा निवेशक अब अपने पोर्टफोलियो में इसे शामिल कर कर सकते हैं और स्थिर आय और शेयरों के मुकाबले कम उतारचढ़ाव का फायदा उठा सकते हैं। बाजार के विशेषज्ञों ने कहा कि खुदरा निवेशकों की भागीदारी बढ़ने से ज्यादा लिक्विड व मजबूत बॉन्ड बाजार को मदद मिलेगी।