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इंटर्नशिप योजना के दिशानिर्देश 2 हफ्ते में लाएगा कंपनी मंत्रालय

कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय औद्योगिक कौशल प्रशिक्षण के संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए इन कंपनियों के साथ समन्यवय स्थापित करने का काम करेगा।

Last Updated- August 23, 2024 | 7:06 AM IST
internship scheme
Representative image

कंपनी मामलों का मंत्रालय इंटर्नशिप योजना के दिशानिर्देश अगले 2 सप्ताह में पेश कर सकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को अपने बजट भाषण में इस योजना का प्रस्ताव किया था।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बजट में ही व्यापक रूप से ब्योरा दे दिया गया है कि योजना किस तरीके से काम करेगी। दिशानिर्देशों में उन बिंदुओं को शामिल किया जाएगा और साथ ही इंटर्नशिप योजना के परिचालन ढांचे का विस्तृत ब्योरा होगा।’

दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देने के पहले मंत्रालय ने उद्योग जगत के साथ परामर्श किया है। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय इसमें नियंत्रण और संतुलन स्थापित करने का काम करेगा। इसमें

आवेदनों की समय-सीमा, कंपनियों द्वारा उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया और अन्य बातों का विस्तृत ब्योरा होगा। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘विचार यह है कि ऐसे लोगों को लिया जाए, जिनके रोजगार पाने की कम संभावना है और इस योजना के तहत वे अपना कौशल सुधार सकें।’ शुरुआत में इस बात पर ध्यान होगा कि इंटर्नशिप करने के इच्छुक अभ्यर्थियों तक पहुंचा जाए। बाद में कौशल की गुणवत्ता पर भी ध्यान दिया जाएगा।

सरकार ने अगले 5 साल के दौरान 500 शीर्ष कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के लिए नई योजना की घोषणा की है। कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय औद्योगिक कौशल प्रशिक्षण के संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए इन कंपनियों के साथ समन्यवय स्थापित करने का काम करेगा।

इंटर्नशिप कार्यक्रम में 12 महीने का वास्तविक बिजनेस एक्सपोजर मिलेगा, जिसमें 5,000 रुपये प्रतिमाह इंटर्नशिप भत्ता और 6,000 रुपये एकमुश्त सहायता राशि मिलेगी। सरकार 90 फीसदी इंटर्नशिप भत्ता देगी, जबकि कंपनियों को शेष 10 फीसदी देना होगा, साथ ही उन्हें अपने परिचालन के दौरान प्रशिक्षण लागत का बोझ भी वहन करना होगा।

इंटर्न के प्रशिक्षण पर आने वाले खर्च का बोझ कंपनियां कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत किए जाने वाले खर्च से वहन करेंगी। कंपनियां इस योजना को स्वैच्छिक आधार पर ले सकती हैं। हालांकि, कंपनी अधिनियम में सीएसआर को अनिवार्य बनाया गया है और यह कानूनी बाध्यता है। भारत ऐसा करने वाले विश्व के कुछ देशों में शामिल है।

शीर्ष 500 कंपनियों के आपूर्तिकर्ताओं या मूल्य श्रृंखला साझेदारों के माध्यम से इंटर्नशिप की पेशकश की जाएगी। अप्रेंटिसशिप के विपरीत इसमें कंपनियों के ऊपर इंटर्न को स्थायी रूप से नौकरी पर रखने की बाध्यता नहीं होगी। इस योजना का मकसद कंपनियों को ऐसे व्यक्तियों को लेने के लिए प्रोत्साहित करना है, जो सामान्यतया बगैर प्रशिक्षण के रोजगार नहीं पा सकते। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इस योजना का मकसद शैक्षणिक ज्ञान और उद्योग की जरूरतों के बीच की खाई को पाटना है। इसका व्यापक मकसद रोजगार क्षमता में सुधार, आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना और सतत विकास को बढ़ावा देना है।

First Published - August 23, 2024 | 7:06 AM IST

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