भारतीय रिजर्व बैंक की सख्ती और धन की कमी से जूझ रहा फिनटेक उद्योग आगामी बजट को उम्मीद की नजर से देख रहा है। उद्योग को स्टार्टअप के लिए अनुकूल कर ढांचे के साथ सस्ती पूंजी के लिए प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत करने वाले कारोबारियों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीAI) जैसे नियामकों के दिशानिर्देशों में स्पष्टता की उम्मीद है। फिनटेक कारोबारियों ने स्टार्टअप पर लगने वाले स्रोत पर कर (टीडीएस) की दर घटाने की मांग की है।
रेजरपे के मुख्य वित्तीय अधिकारी अर्पित गर्ग ने कहा, ‘हम केंद्रीय बजट 2024-25 में वृद्धि के अनुकूल वातावरण बनाने वाली नीतियों की उम्मीद कर रहे हैं। नियामकीय स्पष्टता, धन की बेहतर उपलब्धता, स्टार्टअप के लिए टीडीएस की दर घटाने और बैंकों की तरह स्टार्टअप को भी टीडीएस छूट मिलने की उम्मीद है।’ बिजनेस कॉरेस्पॉन्डेंट (बीसी) का नेटवर्क चला रहीं फिनटेक फर्मो ने वित्तीय सेवाओं पर वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) के रूप में कर माफी की शर्तों में ढील दिए जाने का आग्रह किया है।
बैंकिंग और डिजिटल नेटवर्क से जुड़ी फिनटेक पेनियरबाई के संस्थापक, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी आनंद कुमार बजाज ने कहा, ‘हमने बीसी आउटलेट्स द्वारा उपलब्ध कराई गई सभी वित्तीय सेवाओं पर जीएसटी माफ करने, अगले 7 वर्षों के लिए आयकर में राहत और आवश्यक वित्तीय सेवा उपकरणों पर आयात शुल्क में कमी का अनुरोध किया है।’
फिनटेक फर्मों ने ‘अपने ग्राहक को जानें’ (केवाईसी) मानक को एकसमान करने की भी मांग की है। डिजिटल लेंडिंग फिनटेक फाइब के सह संस्थापक और मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) आशीष गोयल ने कहा, ‘कुशलता में सुधार और वित्तीय समावेशन के लिए हम एक समान केवाईसी ढांचे की वकालत कर रहे हैं।’
वहीं क्लाउड टेक्नोलॉजी, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) व अन्य चीजों के लिए एक समर्पित नीतिगत घोषणा किए जाने की भी उम्मीद की जा रही है। बीम्स फिनटेक के सह संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर सागर अग्रवाल ने कहा, ‘हम क्लाउड तकनीक की स्वीकार्यता को लेकर दिशानिर्देश की उम्मीद कर रहे हैं। यह हमारे सेक्टर का कामकाज बढ़ाने व नवोन्मेष के हिसाब से महत्त्वपूर्ण है।’ कंपनियां गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को प्राथमिकता के आधार पर धन मुहैया कराए जाने की उम्मीद कर रही हैं, जो सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) को ऋण सुविधा देती हैं।
लेंडिंगकार्ट ग्रुप के संस्थापक और सीईओ हर्षवर्धन लुनिया ने कहा, ‘आगामी बजट में इन एनबीएफसी के लिए धन की व्यवस्था को प्राथमिकता दिया जाना और एमएसएमई के लिए सब्सिडी वाली दर सुनिश्चित करने के लिए ब्याज दर में छूट दिया जाना महत्त्वपूर्ण है। इसके साथ ही ऋण गारंटी पंजीकरण शुल्क में कमी किए जाने से कर्जदाता, लाभों को प्रभावी तरीके से छोटे व मझोले उद्यमों को पहुंचा सकेंगे।’
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकार को बजट में सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बनाना चाहिए: आईसीसी नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) ने सरकार को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए इस्पात, सौर बैटरी, एल्यूमीनियम और लिथियम सेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बनाने का सुझाव दिया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 23 जुलाई को पूर्ण केंद्रीय बजट पेश करेंगी। आईसीसी के अध्यक्ष अमेय प्रभु ने कहा कि इस्पात, सौर बैटरी, एल्युमीनियम और लिथियम सेल सहित अन्य क्षेत्रों में घरेलू उद्योग की वृद्धि के लिए सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है।