बजट में अपने सकल बाजार उधारी कार्यक्रम की घोषणा के बावजूद सॉवरिन बॉन्डों में मजबूती आई है, क्योंकि केंद्र ने बजट में राजकोषीय मजबूती पर ध्यान केंद्रित किया, और चालू वर्ष में पुरानी प्रतिभूतियों की अतिरिक्त बिक्री से परहेज किया है।
बुधवार को 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल 6 आधार अंक गिरकर 7.28 प्रतिशत रहा जो 15 दिसंबर 2022 के बाद से सबसे निचला बंद भाव है। सरकार ने 15.4 लाख करोड़ रुपये की सकल बाजार उधारी और 11.8 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध बाजार उधारी का ऐलान किया है, जो काफी हद तक अनुमानों के अनुरूप है।
सरकार को चालू वर्ष में अनुमान के मुकाबले ज्यादा जीडीपी वृद्धि की वजह से पूर्ण रूप से राजकोषीय मजबूती में बड़े अंतर का सामना करना पड़ा है, जिससे बॉन्ड कारोबारियों में यह आशंका गहरा गई कि केंद्र पुरानी प्रतिभूतियों की अतिरिक्त बिक्री के जरिये इस अंतर को दूर करने पर जोर दे सकता है। हालांकि ऐसा करने के बजाय, सरकार ने ट्रेजरी बिल की अपनी अल्पावधि उधारी 50,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने पर जोर दिया।
नोमुरा के अर्थशास्त्रियों ने लिखा है, ‘वित्त वर्ष 2023 के लिए किसी अतिरिक्त उधारी की घोषणा नहीं की गई, जो आईजीबी (भारतीय सरकार के बॉन्ड) के अनुकूल है। वित्त वर्ष 2023 के लिए अतिरिक्त 50,000 करोड़ रुपये की ट्रेजरी बिल बिक्री कुछ हद तक नकारात्मक है।’ उन्होंने लिखा है, ‘हमने महसूस किया कि बाजार इस साल के बजट को लेकर ज्यादा सतर्क बना हुआ था, इसलिए बाजार-अनुकूल ज्यादा उधारी बॉन्ड बाजार के लिए अनुकूल साबित हो सकती है।’
एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल अगले वित्त वर्ष में नरम पड़कर 7 से 7.10 प्रतिशत रहने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी शैलेंद्र झिंगन का मानना है कि मध्यावधि में बॉन्ड प्रतिफल 7-25 से 7-40 प्रतिशत के दायरे में रह सकता है।
हालांकि बैंक ट्रेजरी अधिकारियों का कहना है कि 5 लाख रुपये सालाना से ज्यादा प्रीमियम वाली बीमा पॉलिसी से होने वाली आय पर कर लगाने के प्रस्ताव से दीर्घावधि बॉन्डों की मांग प्रभावित हो सकती है।
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झिंगन ने कहा, ‘यह गारंटीड बीमा योजनाओं में प्रवाह के लिहाज से कुछ हद तक नकारात्मक होगा। ऐसी योजनाओं से पिछले साल के दौरान लंबी अवधि के बॉन्डों के लिए मांग मजबूत हुई थी।’ वित्त वर्ष 2023 में, कई बैंकों ने फॉर्वर्ड रेट एग्रीमेंट्स जैसे डेरिवेटिव अनुबंध किए और बीमा कंपनियों की ओर से दीर्घावधि बॉन्डों की खरीदारी की।
उन्होंने कहा, ’खासकर 10 वर्षीय बॉन्ड, 30 वर्षीय और 40 वर्षीय बॉन्ड के संदर्भ में प्रतिफल की राह मजबूत मजबूत हो सकती है। मौजूदा समय में यह प्रतिफल मुश्किल से 10 आधार अंक है। जून तक शायद यह फिर से 30 आधार अंक पर पहुंच सकता है।’