भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार से उधारी के नियमों को आसान बनाए जाने की संभावना है। इस घटनाक्रम से अवगत सूत्रों का कहना है कि बाजार नियामक गुरुवार को होने वाली अपनी बोर्ड बैठक में सूचकांक प्रदाताओं के लिए एक नियामकीय ढांचा पेश करने का निर्णय ले सकता है।
नियामक द्वारा लिए जाने वाले अन्य संभावित निर्णय हैं – वैश्विक निवेशकों के लिए निवेश विकल्पों की समीक्षा और रीट्स तथा इनविट के लिए इन्वेस्टर सुरक्षा एवं शिक्षा कोष (आईपीईएफ) ढांचे में बदलाव लाना। सूत्रों का कहना है कि सेबी बोर्ड डीलिस्टिंग मानकों में बदलाव और म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग के लिए टोटल एक्सप्रेंस रेशियो (टीईआर) ढांचे जैसे बहुप्रतीक्षित प्रस्तावों को नहीं उठा सकता है, क्योंकि इनके लिए ज्यादा विचार-विमर्श की जरूरत है।
बड़ी कंपनियों द्वारा दिए गए सुझावों के बाद बाजार नियामक उस जुर्माने को हटाने पर विचार कर रहा है जो कॉरपोरेट बॉन्डों के जरिये उधारी की मात्रा से संबंधित किसी तरह के उल्लंघन पर लगाया जाता है। नए मानकों के तहत, बड़ी कंपनियों को अपनी उधारी का 25 प्रतिशत हिस्सा डेट प्रतिभूतियों के निर्गम के जरिये जुटाने की जरूरत होती है।
इसमें विफल रहने पर संबद्ध कम मात्रा (डेट प्रतिभूतियों के जरिये 25 प्रतिशत से कम, जितनी हो) का 0.2 प्रतिशत जुर्माना लगता है। इन नए मानकों का मकसद कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार को विकसित बनाना और बैंकिंग व्यवस्था पर दबाव घटाना है। इन मानकों को मार्च 2023 में प्रभावी किया गया था, लेकिन सेबी ने मार्च 2024 तक इसमें सफलता हासिल होने का लक्ष्य रखा था।
सूत्रों के अनुसार, सेबी बड़े कॉरपोरेट के रूप में पात्रता के लिए न्यूनतम बकाया दीर्घकालिक उधारी को 500 करोड़ रुपये या उससे अधिक तक बढ़ाने के साथ-साथ इन सीमाओं को पूरा करने वाली कंपनियों के लिए प्रोत्साहन पेश कर सकता है। नियामक डेट प्रतिभूतियों के सार्वजनिक निर्गम के लिए 1 प्रतिशत की सिक्योरिटी डिपोजिट को भी समाप्त कर सकता है।
सेबी बोर्ड द्वारा सूचकांक प्रदाताओं के लिए नियामकीय ढांचे के संबंध में निर्णायक मंजूरी दिए जाने की संभावना है। बोर्ड ने मार्च में हुई अपनी बैठक में इस निर्णय को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। हालांकि सेबी को रूपरेखा में और ज्यादा बदलाव करने पड़े और प्रस्ताव को नए सिरे से बोर्ड के समक्ष रखना पड़ा।
सेबी ने उन सूचकांक प्रदाताओं के लिए अतिरिक्त खुलासों के संबंध में ज्यादा पारदर्शिता लाने पर जोर दिया है जिनके सूचकांकों के उपयोगकर्ता भारत में हैं। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) के जरिये निवेश तेजी से लोकप्रिय हुआ है और इससे सूचकांक प्रदाताओं को बाजार में दबदबा बढ़ाने में मदद मिली है।
इस संबंध में सेबी को भेजे गए सवाल का जवाब नहीं मिला है। बाजार नियामक एक ऐसा ढांचा लाने की भी कोशिश कर रहा है जो स्टॉक एक्सचेंजों और डिपोजिटरी तथा अन्य विनियमित संस्थाओं के लिए साइबर सुरक्षा संबंधित साझा तंत्र मुहैया कराएगा।
एक अधिकारी ने कहा, ‘पिछले दो महीनों में, सेबी ने कई क्षेत्रों से संबंधित प्रस्ताव जारी किए। इनमें से कुछ एमएफ टीईआर ढांचे और डीलिस्टिंग नियमों में बदलाव से जुड़े हुए हैं। बाजार नियामक को उद्योग से विभिन्न सुझाव भी मिले हैं, जिन पर गहन विचार किया जा रहा है।’