अगर हम समुद्री कार्गो कारोबार की बात करें तो कॉनकोर शिपिंग कंपनियों के पत्तन संबंधी गतिविधियों को संभाल सकता है या फिर यूं कहें कि यह शिपिंग कार्गों वालों के लिए रिमोट एरिया में कार्गो पहुंचाने का काम करता है।
कंपनी जहाजों के अलावा भारतीय पत्तनों सहित अंतरराष्ट्रीय पत्तनों में इक्विटी हिस्सेदारी के लिए कोशिशें कर रहा है। अपने कार्गो क्रियान्वयन के लिए यह कंपनी गोवा और उत्तर-पूर्व दो जगहों पर कार्गो कॉम्पलेक्स बनाने की योजना बना रही है।
मालूम हो कि देश में एयर कार्गो कारोबार 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। जबकि जिन स्थानों पर पहुंचना आसान नही है वहां कंपनी के पास सीधा कोई साधन नहीं होने के कारण वह हब एवं स्पोक प्रारूप पर काम कर रही है। कहने का मतलब यह है कि यह अपने आंतरिक कंटेनर डिपो यानी आईसीडी पर छोटे लदाई करने वाले जहाजों को तैयार कर सके।
कंपनी ने यद्यपि कोल्ड चेन कारोबार में अपनी सब्सिडियरी फ्रेश एवं हेल्थ इंटरप्राइजेज यानी एफएचईएल के जरिए एक छोटी शुरूआत तो कर दी है पर साथ ही वह अपने विस्तार के लिए एक रणनीतिक साझेदार के साथ भी गठजोड़ करने की योजना बना रही है। इस संयुक्त उपक्रम से कंपनी ताजे फल सब्जियों के संरक्षण, यातायात, भंडारण सहित वितरण करने में आसानी होगी।
इस कारोबार से कंपनी को हालांकि कम ही राजस्व मिल रहा है पर ऐसी उम्मीद है कि एक बार कंपनी अगर खेती और खुदरा केंद्रों को स्थापित करने में सफल साबित हो गई तो फिर राजस्व भी बढ़ जाएगा। फिर भी कंपनी की इन सारी योजनाओं पर काम इस वित्तीय वर्ष के अंत से शुरू होने हैं फिर भी इसे इसके अन्य कोर कारोबारों के जरिए इसका विकास जारी रहेगा।
दबदबा
कंपनी का कार्गो कारोबार में कितना दबदबा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी के पास कुल 58 टर्मिनल, करीब 8,000 माल डिब्बे और 1200 कंटेनर हैं। साथ ही वह कंटेनर यातायातों में हो रहे विकास को पूरी तरह से संभालने के लिए तैयार है। कंटेनर यातायात की बात करें तो 2016 तक इसके 70 लाख टीईयू(बीस फुट के बराबर की इकाई) से 2 करोड़ 10 लाख टीइयू होने की उम्मीद है।
इस प्रकार देखा जाए तो इसमें 14.72 फीसदी का वार्षिक विकास होने होने का आकलन है। इसके अलावा रेल के जरिए माल ढुलाई के सड़क यातायात से 30 फीसदी सस्ते होने, रेल यातायात से संपर्क सहित पत्तन की क्षमता में वृद्धि और रेल फ्रेट कॉरिडोर के बेहतर होने से इसके राजस्व में जबरदस्त इजाफे होने की उम्मीद है। इसके अलावा भारत का निर्यात-आयात कार्गो कंटेनर वैश्विक कंटेनर कार्गो के औसतन 70 से 75 फीसदी के मुकाबले 30 फीसदी होने के कारण इस कारोबार को और तरजीह मिलना कंटेनर कॉनकोर जैसे बड़े खिलाड़ियों के लिए शुभ संकेत है।
प्रतिस्पर्धा एवं अंतर
कंपनी को इस वक्त कुल 14 प्राइवेट कंपनियों से टक्कर मिलने की उम्मीद है क्योंकि इन कंपनियों को अपने ट्रेन, इंफ्रास्ट्रक्चर को ऑपरेट करने के लिए लाइसेंस दिया जा चुका है। इस प्रकार कॉनकोर के लिए उसे अपने पिछले प्रदर्शनों को दुहरा पाना आसान नहीं होगा, जबकि कंपनियों को रेल संपर्कित आईसीडी स्थापित करने, रेको का अधिग्रहण और उन्हें प्रस्तावित फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ने में जमीन की कीमतें ज्यादा होने के कारण कुल 300 करोड़ रुपये का खर्च आएगा और एक बार अगर प्राइवेट कंपनियां इन सब कामों को अंजाम देने में सफल साबित हो गईं तो फिर कॉनकोर के मार्जिन पर दबाव बनना लाजिमी है।
हालांकि मौजूदा स्थिति ज्यादा प्रतिस्पर्धी न होने के कारण कॉनकोर काफी अच्छी स्थिति में है। वह केवल एनसीआर-जेएनपीटी पथ पर कुल 18 ट्रेनें चलवा रहा है जबकि अन्य दूसरी प्राइवेट कंपनियां केवल 2 से 3 ट्रेनें ही चलवा पा रही हैं। साथ ही बड़े टर्मिनलों पर कॉनकोर स्वयं को नए औजारों से लैस कर रही है। इसके अलावा कंपनी ने पहले से अलग अपनी क्षमता को सुधारते हुए अपनी आपूर्ति व्यवस्था को भी ठीक किया है।
पहले कंपनी को आपूर्ति के लिए दूसरी कंपनियों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब वह इबिडटा मार्जिन को बरकरार रखने के लिए भारतीय रेलवे द्वारा रेल भाड़े शुल्क में 15 फीसदी के इजाफे को भी पास ऑन करने की योजना बना रहा है। मालूम हो कि यह शुल्क कॉनकोर के कुल खर्च का 75 फीसदी है जो इस साल 1 अगस्त से लागू हो जाएगा। पर कंपनी पास ऑन के जरिए अपने इबिडटा मार्जिन को 31.5 फीसदी पर बरकरार रखने में सफल साबित होगा।
मूल्यांकन
कंपनी की जून तिमाही के प्रदर्शन की बात करें तो यह राजस्थान में गुर्जर आंदोलनों के कारण बेहतर प्रदर्शन कर पाने में सफल साबित नहीं हो सकी थी क्योंकि इस आंदोलन ने कंपनी के कामकाज में कुल 30 दिनों तक बाधा पहुंचाई। बावजूद इसके कंपनी साल दर साल आधार पर निर्यात आयात यानी एक्जिम वॉल्यूमों में 8 फीसदी इजाफा कर पाने में सफल साबित रही। जबकि एक्जिम राजस्व की बात करें तो इसमें कुल 9 फीसदी का इजाफा देखने को मिला।
बेस प्रभाव के कारण कंपनी ने कुल 25 से 38 फीसदी की रिकॉर्ड वृध्दि की, लेकिन उसके घरेलू वॉल्यूम में कमी देखने को मिली। इस प्रकार कंपनी के संपूर्ण वॉल्यूम की बात करें तो इसमें 5.2 फीसदी का इजाफा देखने को मिला और यह साल दर साल के आधार पर 5.89 लाख टीईयू हो गया। अपने कारोबार को विस्तार देने के लिए कंपनी अगले पांच सालों में कुल 2,500 करोड़ रुपये निवेश करने जा रही है। जिसके तहत वह रोलिंग स्टॉक में इजाफा और आईसीडी के आधुनिकीकरण और अधिग्रहण के काम को पूरा करेगी।
इसके अलावा अगर यह विभिन्न भारतीय पत्तनों पर टर्मिनल विकसित करने की निविदा हासिल करने में सफल साबित हो जाता है तो वह अपने निवेश को दुगुना कर देगा। अगले कुछ सालों के लिए राजस्व के लिहाज से 15 फीसदी के इजाफा मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर बेस, वायु कार्गो और शिपिंग कारोबार में प्रवेश और जबरदस्त एक्जिम मांग को पूरा करने का मार्ग प्रशस्त कर देगा। 835 रुपये पर कंपनी का शेयर वित्तीय वर्ष 09 के लिए अनुमानित कमाई 61.34 रुपये के आधार पर 13.6 फीसदी है जो उसके एक साल के 11-20 फीसदी के फारवर्ड पीई बैंड के निचले सिरे के करीब है। निवेशक अगले एक सालों में कंपनी से 20 फीसदी के रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं।