बॉन्ड

VRR की नीलामियों को देखते हुए बॉन्ड बाजार को उम्मीद, फरवरी में रिजर्व बैंक बदल सकता है रुख

डीलरों ने कहा कि उसके बाद से बाजार लगातार रणनीतिक रूप से सरकार के बॉन्ड बाजार में लॉन्ग पोजीशन लेता रहा है।

Published by
अंजलि कुमारी   
Last Updated- January 16, 2024 | 9:17 PM IST

बॉन्ड बाजार के हिस्सेदारों को फरवरी में नीतिगत दर पर भारतीय रिजर्व बैंक के रुख में बदलाव की उम्मीद है। लगातार वैरिएबल रेट रीपो (वीआरआर) की नीलामियों को देखते हुए बाजार उम्मीद कर रहा है कि रिजर्व बैंक समावेशी रुख की वापसी से तटस्थ रुख अपनाएगा। केंद्रीय बैंक नकदी को लेकर समावेशी रुख अपना रहा है, जिसकी वजह से बाजार को यह उम्मीद हुई है।

आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के वाइस प्रेसीडेंट नवीन सिंह ने कहा, ‘रिजर्व बैंक नकदी को समायोजित करना और यह सब कुछ तटस्थ या शून्य पर लाना चाहता है। रिजर्व बैंक ने जिस तरह से पिछले नीतिगत बयान में कहा था, ऐसा नहीं लगता कि वे जल्द ही कोई वृद्धि करेंगे।’

सिंह ने कहा, ‘अगर अभी वे कटौती नहीं करना चाहते तो अभी वे वृद्धि करना भी नहीं चाहते हैं। ऐसे में समावेशी रुख की वापसी को बरकरार रखने का क्या मतलब है। वे तटस्थ रुख की ओर आ रहे हैं। तटस्थ रुख रिजर्व बैंक को कहीं से भी वृद्धि से नहीं रोकता, अगर वे ऐसा करना चाहें। वे अनपेक्षित रूप से समावेशी रुख नहीं बदल सकते, लेकिन कम से कम तटस्थ रुख अपना सकते हैं।’

मौद्रिक नीति समिति में बाहरी सदस्य जयंत वर्मा एकमात्र सदस्य थे, जिन्होंने दिसंबर की नीतिगत समीक्षा में तटस्थ रुख अपनाने का पक्ष लिया था।

डीलरों ने कहा कि उसके बाद से बाजार लगातार रणनीतिक रूप से सरकार के बॉन्ड बाजार में लॉन्ग पोजीशन लेता रहा है।

एक सरकारी बैंक से जुड़े डीलर ने कहा, ‘हर कोई नहीं तो ज्यादातर लोग लॉन्ग पोजीशन (खरीदारी) ले रहे हैं क्योंकि बाजार अनुमान लगा रहा है कि रिजर्व बैंक फरवरी में अपना रुख बदलेगा।’

सरकार के 10 साल के बेंचमार्क बॉन्ड का प्रतिफल जनवरी में अब तक 3 आधार अंक गिरा है। दिसंबर में प्रतिफल 11 आधार अंक गिरा था। बहरहाल बाजार में मौजूद एक वर्ग का विचार है कि रिजर्व बैंक अपना रुख यथावत रख सकता है और रुख में बदलाव को लेकर कम से कम अप्रैल तक का वक्त ले सकता है।

पीनबी गिल्ट्स में कार्यकारी वाइस प्रेसीडेंट विजय शर्मा ने कहा, ‘बाजार में अल्प संख्या में एक वर्ग का मानना है कि फरवरी में रुख में बदलाव संभव है। लेकिन आम धारणा यह है कि अप्रैल में ही बदलाव होगा।’

उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि 1.75 लाख करोड़ रुपये वीआरआर के बाद भी नकदी अभी घाटे की स्थिति में है। ऐसा नजर आ रहा है कि हाल के लगातार वीआरआर नीलामी से रिजर्व बैंक नकदी सुनिश्चित कर रहा है, लेकिन एक बिंदु के बाद वह नकदी को लेकर सख्ती कम नहीं करना चाहता। बहरहाल यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी कि रिजर्व बैंक समावेशी रुख अपना रहा है। ऐसे में अभी देखो और इंतजार करो की स्थिति है।’

First Published : January 16, 2024 | 9:17 PM IST