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संवत 2082 में दर कटौती और व्यापार वार्ता से तय होगी रुपये व बॉन्ड की चाल

भारतीय बॉन्ड बाजार के लिए नया संवत सकारात्मक रहने की उम्मीद है जिसमें दरों में कई कटौती की संभावना है

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- October 21, 2025 | 10:45 PM IST

विदेशी मुद्रा और सरकारी बॉन्ड डीलरों का मानना है कि भारत में नीतिगत दर में कटौती की समयसीमा और अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता संवत 2082 में अहम भूमिका निभाएगी। भारतीय बॉन्ड बाजार के लिए नया संवत सकारात्मक रहने की उम्मीद है जिसमें दरों में कई कटौती की संभावना है।

भारत की खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में 99 महीने के निचले स्तर पर आ गई। यह भारतीय रिजर्व बैंक के लक्षित दायरे से काफी नीचे है। इस कारण आने वाली तिमाहियों में मौद्रिक नीति में नरमी की संभावना मज़बूत हुई है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि मुद्रास्फीति की नरम स्थिति ने दरों में कई कटौती की गुंजाइश बना दी है और अगले साल के अंत तक मुख्य नीतिगत दर के करीब 5 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है।

एक निजी बैंक के ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश होने पर दिसंबर के अंत तक बॉन्ड यील्ड के गिरकर 6.25 फीसदी तक पहुंच जाने की उम्मीद है। केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 30 से 50 साल की अवधि वाले अल्ट्रा-लॉन्ग वॉन्ड के आवंटन में 5.5 फीसदी की कटौती की है ताकि 3 और 5 साल की परिपक्वता वाले कम अवधि के बॉन्डों की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि यह कैलेंडर निवेशकों की मौजूदा मांग के अनुरूप है।

आरबीआई ने संवत 2081 में ब्याज दरों में कुल 100 आधार अंकों की कटौती की जिससे इस दौरान सरकारी बॉन्डों के बाजार में सकारात्मक रुझान देखा गया। इस दौरान बेंचमार्क 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड पर प्रतिफल में 33 आधार अंकों की गिरावट आई। दूसरी ओर, कई बार रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने के बाद रुपये में सुधार की उम्मीद है क्योंकि विदेशी मुद्रा बाजार ने नकारात्मक संकेतों को मान लिया है।

संवत 2081 के दौरान रुपया दबाव में रहा। इसमें डॉलर के मुकाबले 4.36 फीसदी की गिरावट आई। यह गिरावट मुख्य रूप से वैश्विक व्यापार तनाव में वृद्धि के कारण हुई। भारतीय वस्तुओं पर अमेरिकी शुल्क लगाने और बढ़ाने (कुछ सेक्टरों में प्रभावी शुल्क 50 फीसदी तक बढ़ गए) से भारतीय बाजारों के प्रति निवेशकों की धारणा कमजोर हुई।

बाजार के प्रतिभागियों ने कहा, हालांकि भारत-अमेरिका व्यापार मोर्चे पर कोई बड़ी प्रगति नहीं हुई है। लेकिन अमेरिका और चीन के अधिकारियों के बीच बातचीत से बाजार को उम्मीद हुई है कि व्यापारिक मसलों को शांति के साथ सुलझाया जा सकता है।

बाजार के एक प्रतिभागी ने कहा, अभी व्यापार वार्ता पर नजर है। सभी नकारात्मक संकेतों को शामिल कर लें तो भी रुपया 85.20 प्रति डॉलर तक मजबूत होने की उम्मीद है। पिछले सप्ताह केंद्रीय बैंक ने सरकारी बैंकों के माध्यम से आक्रामक डॉलर बिक्री की जिससे धड़ाधड़ शॉर्ट कवरिंग हुई और हाल के दिनों में बनी मंदी की धारणा तुरंत उलट गई।

First Published : October 21, 2025 | 10:31 PM IST