चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत के साथ मजबूत रहने के बाद नवंबर में भी आर्थिक गतिविधियां दमदार रही हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर जारी दिसंबर के मासिक बुलेटिन में यह बात कही। इसमें कहा गया कि नियमित अंतराल पर आने वाले आंकड़े समग्र आर्थिक गतिविधियां मजबूत बने रहने के संकेत दे रहे हैं।
आरबीआई ने कहा, ‘नियमित अंतराल पर आने वाले संकेतक बताते हैं कि त्योहार के बाद नवंबर में समग्र आर्थिक गतिविधियों में निरंतरता बनी रही। जीएसटी राजस्व संग्रह में कमी काफी हद तक इसकी दरों में संशोधन के कारण आई मगर ई-वे बिल, पेट्रोलियम की खपत और डिजिटल भुगतान से जुड़े आंकड़े अर्थव्यवस्था की रफ्तार कायम रहने के संकेत दे रहे हैं।’
आरबीआई की यह टिप्पणी हाल में संपन्न मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में हुई बातें सार्वजनिक होने के बाद आई है। इसमें आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की इस टिप्पणी का जिक्र है कि घरेलू आर्थिक गतिविधियां तीसरी तिमाही में लचीली बनी रही मगर कुछ प्रमुख संकेतकों से पता चलता है कि पहली छमाही की तुलना में दूसरी छमाही में वृद्धि की गति में मंदी आई है।
मल्होत्रा ने एमपीसी की बैठक में कहा, ‘कुल मिलाकर वास्तविक जीडीपी की वृद्धि दर 7 प्रतिशत से अधिक रहेगी जो हमारे 6.5 प्रतिशत के अनुमान से बहुत अधिक है। अगले वर्ष की पहली छमाही में घरेलू वृद्धि दर मजबूत रहने का अनुमान है मगर यह 6.7 से 6.8 प्रतिशत रह सकती है।’
आरबीआई की छह सदस्यीय एमपीसी फरवरी से अब तक रीपो दर में 125 आधार अंक की कमी कर चुकी है जिससे यह अब 6.5 प्रतिशत से घट कर 5.25 प्रतिशत रह गई है। हाल में संपन्न एमपीसी की बैठक में रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती की गई और रुख तटस्थ रखा गया। इसके लिए समग्र और प्रमुख मुद्रास्फीति दोनों के लिए नरम परिदृश्य का हवाला दिया गया। इस वजह से नीतिगत दर में कटौती के लिए गुंजाइश बढ़ गई।
केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा कि व्यापक आर्थिक हालात की बुनियादी बातों और आर्थिक सुधारों पर निरंतर ध्यान केंद्रित करने से अर्थव्यवस्था को पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।
आरबीआई के मुताबिक 2025 में वैश्विक व्यापार नीतियों में अभूतपूर्व बदलाव देखे गए जिनके बाद शुल्कों और व्यापार की शर्तों पर देशों के बीच दोबारा बातचीत होने लगी। आरबीआई ने कहा कि इन बातों का वैश्विक व्यापार और आपूर्ति व्यवस्था पर असर पड़ना जारी है। आरबीआई ने कहा, ‘वैश्विक अनिश्चितताओं और वैश्विक वृद्धि की संभावनाओं को लेकर चिंता बढ़ गई है। शेयर बाजार बड़ी तकनीक को लेकर उत्साहित जरूर रहा मगर ऊंचे मूल्यांकन से जुड़ी चिंता से इन दिनों जोखिम काफी बढ़ गए हैं।’ हाल के महीनों में उभरते बाजारों में निवेश भी धीमा हो गया है।