श्रीराम फाइनैंस के उपाध्यक्ष उमेश रेवणकर
श्रीराम फाइनैंस के निदेशक मंडल ने सोमवार को जापान के एमयूएफजी बैंक द्वारा किए गए 4.4 अरब डॉलर के निवेश को मंजूरी दे दी, जिसे भारत के वित्तीय सेवा क्षेत्र में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बताया जा रहा है। इसके तहत एमयूएफजी बैंक, देश की दूसरी सबसे बड़ी रिटेल एनबीएफसी में 20 फीसदी हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगा। श्रीराम फाइनैंस के उपाध्यक्ष उमेश रेवणकर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक आवश्यक नियामकीय मंजूरी मिल जाएगी। नई दिल्ली में हर्ष कुमार और असित रंजन मिश्र के साथ एक साक्षात्कार में रेवणकर ने बताया कि इस निवेश के कंपनी के लिए क्या मायने हैं। बातचीत के संपादित अंश:
श्रीराम फाइनैंस को 4.4 अरब डॉलर के निवेश से परे, एमयूएफजी बैंक के साथ साझेदारी से किस तरह का लाभ मिलने की उम्मीद है?
यह हमारे लिए बहुत बड़ा दिन है क्योंकि एक बड़ा अंतरराष्ट्रीय बैंक मजबूत पूंजी के साथ साझेदारी कर रहा है, जो हमें बहुत आत्मविश्वास देता है और यह हमारे कारोबारी मॉडल का भी समर्थन करता है। ऐसे में निश्चित रूप से इसका सबसे बड़ा सकारात्मक पहलू यह है कि हमारी क्रमिक रूप से बढ़ने वाली उधार लागत कम हो रही है और शायद 18 महीनों में हम अपनी उधार दरों को फिर से निर्धारित करने में सक्षम होंगे। हमें यह भी उम्मीद है कि इससे हमारी क्रेडिट रेटिंग भी अपडेट होगी। इसके अलावा, अब हम उन ग्राहकों को सेवाएं दे पाएंगे जो हमारे ऋण दरों के अधिक होने के कारण दूसरे एनबीएफसी या बैंकों की सेवाएं लेते। अब हम उन्हें अपने साथ जोड़ने में सक्षम होंगे। इससे हमें उन क्षेत्रों में और अधिक बढ़ने में भी मदद मिलेगी जहां हम अभी बहुत मजबूत नहीं हैं जैसे कि उत्तरी, मध्य और पूर्वी भारत।
आप अपनी ऋण दरों में कितनी कमी की उम्मीद करते हैं?
हमें उम्मीद है कि यह अगले 18 महीनों में 40 आधार अंकों से लेकर 100 आधार अंकों यानी करीब एक फीसदी के बीच कम हो जाएगी। अभी हमारी उधारी लागत 8.8 प्रतिशत है और इससे देनदारी में बदलाव आएगा। शायद यह एक फीसदी तक कम हो जाएगा।
अपने ऋण पोर्टफोलियो में विविधता लाने की आपकी क्या रणनीति है?
यदि आप हमारे कारोबारी मॉडल को देखें तो हम आय अर्जित करने वाली संपत्तियों जैसे वाहन, मशीनरी, ट्रैक्टर और यात्री वाहनों के बदले में ऋण देते हैं। मेरा मानना है कि पिछले तीन से चार वर्षों में वाहनों का अपग्रेडेशन उस तरह से नहीं हुआ जैसा होना चाहिए था। जैसे ही ग्राहक अपग्रेड करना शुरू करेंगे, निश्चित रूप से हमारा ऋण पोर्टफोलियो बढ़ेगा। जहां तक लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) का संबंध है तो यह छोटे कारोबारों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करने वाला एक बहुत व्यापक खंड है। भारत में एक महत्त्वपूर्ण ऋण अंतर है, जिसका अनुमान लगभग 40 लाख करोड़ रुपये से 50 लाख करोड़ रुपये है। हम अपने एसएमई पोर्टफोलियो के विस्तार में भी अहम भूमिका निभाने में सक्षम होने चाहिए।
एमयूएफजी की डीएमआई फाइनैंस में महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है। ऐसे में क्या डीएमआई फाइनैंस के साथ आगे कोई कारोबारी तालमेल होगा?
नहीं, हम ऐसी कोई चर्चा नहीं कर रहे हैं। मुझे यह भी नहीं पता कि डीएमआई फाइनैंस कैसे काम कर रहा है। मुझे जहां तक अंदाजा है कि यह एक वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनी है। उस क्षेत्र में हमारी फिलहाल कोई दखल नहीं है।
आपके पोर्टफोलियो में फिलहाल यात्री वाहनों की तुलना में वाणिज्यिक वाहनों की हिस्सेदारी अधिक है। क्या आपको लगता है कि नए निवेश से इसमें बदलाव आएगा?
यह पहले से ही हो रहा है। यात्री वाहनों के भीतर, दो स्पष्ट श्रेणी है सार्वजनिक परिवहन और निजी वाहन। हमारा मानना है कि सार्वजनिक परिवहन में एक बहुत बड़ा अवसर है क्योंकि समय के साथ इसमें सरकार का निवेश कम हो रहा है, विशेष रूप से राज्य स्तर पर, जो ऐतिहासिक रूप से सबसे बड़ा निवेशक रहा है। इसलिए, अधिक निजी खिलाड़ी आ रहे हैं और यह हमें अपने ऋण दायरे को और बढ़ाने का मौका देता है।
आप यूनिवर्सल बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने पर विचार क्यों नहीं कर रहे हैं?
सबसे पहले तो हमें यह समझना चाहिए कि बैंक बनने से आपको क्या लाभ हो रहा है और आप किस वर्ग और ग्राहकों को सेवाएं देना चाहते हैं। मेरे ग्राहक बैंक की तुलना में एनबीएफसी के साथ जुड़े रहकर बहुत खुश होंगे क्योंकि यह हमें अधिक लचीलापन देता है। आप अपनी वित्तीय योजनाओं को बेहतर ढंग से कस्टमाइज कर सकते हैं। इसलिए, एक संरचना के रूप में एनबीएफसी कारोबार करने के लिए बहुत सरल है ऐसे में वास्तव में बैंक बनने की आवश्यकता नहीं है। हम पूंजी को मजबूत करके और क्रेडिट रेटिंग में सुधार करके ऋण देने की लागत कम कर रहे हैं। यदि यह उद्देश्य पूरा हो जाता है तब हमें बैंक बनने की आवश्यकता नहीं है। अभी तो हम बैंक बनने के बारे में बात भी नहीं कर रहे हैं।
अगले वित्तीय वर्ष के लिए आपकी क्या ऋण योजना है?
सबसे पहले, यह लेनदेन पूरा होना है और पैसा आना है। हमें उम्मीद है कि यह मौजूदा वित्तीय वर्ष के अंत तक हो जाएगा। इसकी वजह से हम इस समय किसी भी ऋण योजना पर आक्रामक रूप से विचार नहीं कर रहे हैं। हम पहले इसे साकार होते हुए देखना चाहेंगे, और उसके बाद ही हमें अपनी योजनाओं को फिर से बनाना पड़ सकता है।