प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) घरेलू डेट बाजार को मजबूत बनाने के प्रयास के तहत कॉरपोरेट बॉन्ड इंडेक्स डेरिवेटिव्स की पेशकश के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साथ मिलकर काम कर रहा है। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अनंत नारायण जी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
नारायण ने कहा, ‘कॉरपोरेट बॉन्ड इंडेक्स डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। सेबी और आरबीआई के बीच इस बारे में बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है और हमें उम्मीद है कि जल्द ही इसमें प्रगति होगी।’ उन्होंने आगे कहा कि बॉन्ड बाजार के प्लेटफॉर्म और निपटान प्रक्रिया को इक्विटी के साथ एक जैसा करने से बॉन्ड एक बेहतर निवेश विकल्प बन सकते हैं।
सेकेंडरी बॉन्ड बाजार का वॉल्यूम अभी लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये प्रति माह है, जबकि इक्विटी में इसी तरह का वॉल्यूम एक ही दिन में ट्रेड हो जाता है। सेबी ने 2023 में नियम बनाए थे, जिसके तहत एक्सचेंज एए+ और उससे ऊपर की रेटिंग वाली सिक्योरिटीज वाले कॉरपोरेट बॉन्ड इंडेक्स पर वायदा पेश कर सकते थे। लेकिन, इन योजनाओं को अभी तक कोई खास सफलता नहीं मिली है।
इस बारे में दिलचस्पी पैदा करने के लिए सेबी अब इस योजना को शुरू करने के लिए एक नए प्रोटोकॉल पर आरबीआई के साथ काम कर रहा है।
पिछले दशक में बकाया कॉरपोरेट बॉन्ड लगभग तीन गुना हो गए हैं, जो वित्त वर्ष 2015 के 17.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक 53.6 लाख करोड़ रुपये हो गए। नारायण ने कहा कि इस वृद्धि के बावजूद बाजार पर बैंकों, बीमा कंपनियों, भविष्य निधि और म्युचुअल फंड जैसे संस्थागत निवेशकों का दबदबा बना हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘रिटेल और विदेशी निवेशक अभी भी हाशिए पर हैं।’
हाल के वर्षों में, सेबी ने बॉन्ड बाजार में भागीदारी बढ़ाने के लिए कई उपाय किए हैं। इनमें बॉन्ड सेंट्रल के तहत कॉरपोरेट बॉन्ड के लिए एक केंद्रीय डेटाबेस बनाना, ऑनलाइन बॉन्ड प्लेटफॉर्म के लिए नियम बनाना और निजी तौर पर जारी किए जाने वाले बॉन्ड के लिए न्यूनतम निवेश राशि को 1 लाख रुपये से घटाकर 10,000 रुपये करना शामिल है।
नारायण ने कहा, ‘मुख्य बात यह है कि वैकल्पिक परिसंपत्ति वर्ग विकसित करना अब विकल्प नहीं रह गया है, यह भारत में सतत पूंजी निर्माण के लिए आवश्यक है।’