वैश्विक बाजार की तुलना में भारतीय शेयर बाजार का प्रीमियम लगभग खत्म हो गया है और मूल्यांकन में कमी आई है। निफ्टी 50 सूचकांक का एसऐंडपी 500 के मुकाबले मूल्यांकन अंतर करीब 20 फीसदी हो गया है। अन्य प्रमुख बाजारों की तुलना में ऐतिहासिक रूप से घरेलू शेयर बाजार के उच्च मूल्यांकन को देखते हुए यह बड़ा उलटफेर है।
उदाहरण के लिए, दो साल पहले तक निफ्टी 50 अमेरिका के बेंचमार्क इक्विटी सूचकांक के मुकाबले प्रीमियम पर कारोबार कर रहा था। निफ्टी फिलहाल लगभग 23.4 गुना के प्राइस-टु-अर्निंग (पीई) मल्टीपल पर कारोबार कर रहा है जबकि एसऐंडपी 500 का पी/ई मल्टीपल लगभग 28 गुना है।
नवंबर 2024 के अंत में निफ्टी 22.6 गुना पीई मल्टीपल पर कारोबार कर रहा था जबकि एसऐंडपी 500 की बात करें तो वह 27 गुना पीई पर कारोबार कर रहा था। पिछले 20 वर्षों में ज्यादातर समय घरेलू बाजार ने अमेरिकी इक्विटी बाजार की तुलना में प्रीमियम पर कारोबार किया है। साल 2006 और 2023 के बीच भारत में शेयर बाजार का मूल्यांकन गिने-चुने मौकों पर ही अमेरिका से कम रहा है और वह भी काफी कम समय के लिए।
उदाहरण के लिए 2008 की दूसरी छमाही और 2009 की शुरुआत में वैश्विक वित्तीय संकट के बाद, 2013 की दूसरी छमाही में यूरो ऋण संकट और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक सख्ती के दौरान। इसी तरह 2016 की अंतिम तिमाही में भारत में नोटबंदी के बाद और 2021 की पहली छमाही में वैश्विक स्तर पर बॉन्ड यील्ड में तेज वृद्धि के समय शेयरों में बिकवाली के समय में ही थोड़े समय के लिए भारतीय बाजार का प्रीमियम अमेरिकी बाजार से कम रहा है।
मूल्यांकन में अंतर के इन छिटपुट मामलों को छोड़ दें तो दलाल पथ पर इक्विटी मूल्यांकन में लगातार तेज वृद्धि देखी गई जिससे अन्य प्रमुख बाजारों की तुलना में भारतीय बाजार का प्रीमियम ज्यादा रहा।
यह भारत में ऐतिहासिक रूप से उच्च इक्विटी मूल्यांकन में दिखाई देता है। उदाहरण के लिए पिछले 20 वर्षों में एसऐंडपी 500 ने औसतन 19.1 गुना पीई पर कारोबार किया जबकि भारतीय बेंचमार्क इक्विटी सूचकांक 6.9 फीसदी अधिक औसतन 20.4 गुना पीई पर कारोबार करता रहा है।
भारत और अमेरिका के बाजार में मूल्यांकन का मौजूदा अंतर 23वें महीने में भी बना हुआ है और 2006 के बाद से यह सबसे लंबा दौर है।
विश्लेषक भारत और अमेरिकी बाजार में मूल्यांकन के घटते अंतर का श्रेय विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की लगातार बिकवाली और अमेरिका में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में आई तेजी को देते हैं।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक और सीईओ जी चोकालिंगम ने कहा, ‘अमेरिका में एआई शेयरों की अगुआई में इक्विटी मूल्यांकन तेजी से बढ़ा है जबकि भारत में एफपीआई की लगातार बिकवाली के कारण मूल्यांकन दबाव में है।’
एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस साल अभी तक शेयर बाजार में कुल करीब 16.8 अरब डॉलर की बिकवाली की है।
विश्लेषकों का कहना है कि भारत में कंपनियों की आय में नरम वृद्धि के कारण विदेशी बिकवाली हुई है। निफ्टी 50 की अंतर्निहित प्रति शेयर आय (ईपीएस) जो सूचकांक में शामिल 50 कंपनियों के कुल शुद्ध लाभ को दर्शाती है पिछले एक साल में करीब 2.5 फीसदी कम हुई है।
इसकी तुलना में इस अवधि में एसऐंडपी 500 का ईपीएस लगभग 8.5 फीसदी बढ़ा है। निफ्टी 50 का ईपीएस नवंबर 2024 के अंत में 12.63 डॉलर से घटकर बीते शुक्रवार को 12.32 डॉलर रह गया। इसी अवधि में एसऐंडपी का ईपीएस बढ़कर 223.8 से 243 डॉलर हो गया।