महाराष्ट्र

रीडेवलपमेंट से मुंबई की भीड़ समेटने की कोशिश, अगले 5 साल में बनेंगे 44,000 नए मकान, ₹1.3 लाख करोड़ का होगा बाजार

राज्य सरकार झोपड़पट्टी और सार्वजनिक आवास कॉलोनियों को बहुमंजिला इमारतों में बदल रही है

Published by
सुशील मिश्र   
Last Updated- November 09, 2025 | 10:28 PM IST

मुंबई के अंधेरी इलाके की एक हाउसिंग सोसाइटी में शादी जैसा माहौल है। शामियाना लगा है, कुर्सियां हैं, लोग तैयार होकर आए हैं और खाने-पीने का भी शानदार इंतजाम है। मगर यह शादी नहीं है बल्कि सोसाइटी के रीडेवलपमेंट का ठेका लेने के इच्छुक बिल्डरों द्वारा बुलाई गई मीटिंग है। स्वादिष्ट पकवानों के साथ बिल्डरों के प्रतिनिधि सोसाइटी के बाशिंदों के सामने अपना ऑफर भी रख रहे हैं। सोसाइटी के लोग भी जमकर मोलभाव कर रहे हैं। जिसके हाथ बाजी लगी, उसे रीडेवलपमेंट का बड़ा ठेका मिल जाएगा।

जमीन की कमी से जूझ रहे मुंबई शहर में अब यह आम दृश्य है। भीड़ को समेटने के लिए राज्य सरकार झोपड़पट्टी और सार्वजनिक आवास कॉलोनियों को बहुमंजिला इमारतों में बदल रही है तो निजी इमारतें और कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी भी इसी राह पर हैं। इसलिए भीड़भाड़ वाले इलाकों में भी एक के बाद एक इमारतें बन रही हैं।

इसके जरिये अगले पांच साल में मुंबई में करीब 44,000 मकान बनने की उम्मीद है। मगर सोसाइटी के लोगों को मनाना बिल्डर के लिए आसान काम नहीं रह गया है। वे लोग भी इसकी कीमत को समझते हुए अपना आर्किटेक्ट, वकील और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट एक्सपर्ट साथ लेकर बैठते हैं।

ऐसे ही प्रोजेक्ट कंसल्टेंट श्रीकांत पाठक कहते हैं कि सोसाइटी अब बहुत मोलभाव करती हैं। कंसल्टेंट, आर्किटेक्ट और लीगल टीम दो से ढाई साल तक सोसाइटी के साथ काम करती है। विवाद निपटने और सबकी सहमति बनने पर निविदा निकाली जाती है और सोच-समझकर ठेका दिया जाता है, जिसके बाद पुरानी इमारत तोड़कर नई इमारत बनाई जाती है।

सोसायटी कमेटी और डेवलपर की तरफ से बेहतर समझौते होने के बावजूद ज्यादातर परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं हो पा रही है। मुंबई में रीडेवलपमेंट परियोजना पूरी होने में अब भी औसतन आठ साल लग रहे हैं। क्रेडाई-एमसीएचआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जितेंद्र मेहता बताते हैं कि सोसाइटी के गुटों को एकजुट करने, पूंजी जुटाने, एसआरए, म्हाडा, एमसीजीएम, पर्यावरण, अग्निशमन जैसे तमाम विभागों से मंजूरी पाने में बहुत समय लग जाता है। लागत बढ़ने से भी प्रोजेक्ट अटकते हैं।

इधर होड़ में आगे निकलने के लिए बिल्डर सोसाइटी पर पूरी तरह मेहरबान हैं। कुछ साल पहले मुंबई में फ्लैट मालिक को कारपेट एरिया का औसतन 50 फीसदी ज्यादा मिलता था मगर आज बिल्डर 120 फीसदी तक अतिरिक्त एरिया दे रहे हैं। इसकी वजह मकानों की बढ़ती मांग है, जो होम लोन पर ब्याज की दर कम होने और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) घटने से और भी तेज होने जा रही है।

इसके अलावा कोविड महामारी के बाद खरीदारों का रुख भी बदला है और वे बड़े मकान चाहने लगे हैं। इसके अलावा 2018 और 2019 में नियामकीय बदलावों के तहत समुद्र और खाड़ी से 50 मीटर भीतर तक निर्माण की इजाजत दे दी गई है, जो पहले 100 मीटर ही थी। साथ ही फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) में भी ढील दी गई, जिससे मुंबई के तटीय इलाकों में भी बाकी शहर की तरह एफएसआई लागू हो गया है।

ऐसे में सोसाइटियों को पुनर्विकास ही मकानों की इस मांग को पूरा करने का रास्ता नजर आ रहा है। रियल एस्टेट परामर्शदाता नाइट फ्रैंक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई महानगरपालिका क्षेत्र में चल रही सोसायटी पुनर्विकास परियोजनाओं से वर्ष 2030 तक 44,277 नए मकान उपलब्ध होंगे, जिनका मूल्य करीब 1,30,500 करोड़ रुपये होगा।

अगले 5 साल में सबसे ज्यादा 32,354 नए मकान मुंबई के पश्चिमी उपनगर में बनाए जाएंगे, जिनकी कीमत करीब 94,100 करोड़ रुपये होगी। ये मकान बांद्रा और बोरिवली जैसे इलाकों में होंगे। बनने जा रहे कुल नए मकानों में 73 फीसदी हिस्सेदारी इन्हीं की होगी। इसके उलट दक्षिण मुंबई में केवल 416 नए मकान जुड़ेंगे।

वर्ष 2020 से अब तक 910 आवासीय सोसायटी ने डेवलपरों के साथ रीडेवलपमेंट के समझौते किए हैं, जिनमें लगभग 326.8 एकड़ (13.2 लाख वर्ग मीटर) जगह मिल गई है। रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई क्षेत्र में करीब 1.6 लाख सोसायटियां 30 वर्ष से अधिक पुरानी है, जिनका रीडेवलपमेंट हो सकता है। महाराष्ट्र सरकार को अगले पांच साल में इन सोसाइटियों के रीडेवलपमेंट से लगभग 6,500 करोड़ रुपये का राजस्व और करीब 6,525 करोड़ रुपये जीएसटी मिलेगा।

First Published : November 9, 2025 | 10:28 PM IST