बॉन्ड बाजार को अर्थव्यवस्था से स्पष्ट संकेत मिलता नहीं दिख रहा है, लेकिन वह आरबीआई द्वारा नकदी डाले जाने के कदम से उत्साहित है।
पिछले गुरुवार को सरकार द्वारा घोषित प्रोत्साहन उपायों से बॉन्ड प्रतिफल में बदलाव देखा गया। केंद्रीय बैंक ने बाजार से बॉन्ड की खरीद-बिक्री के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) की घोषणा की। उसी दिन केंद्रीय बैंक ने अन्य ओएमओ की पेशकश की थी जिसमें उसने साथ ही 10,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड की खरीदारी और बिक्री की थी।
इन ओएमओ और 20,000 करोड़ रुपये की बॉन्ड खरीदारी घोषणाओं के जरिये, आरबीआई बॉन्ड प्रतिफल को नरम बनाए रखे हुए है। सरकार की 2.65 लाख करोड़ रुपये की राहत घोषणाओं में से करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का राजकोषीय प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से पड़ा है, और बॉन्ड बाजार में उतार-चढ़ाव नहीं दिखा है। सामान्य समय में, यह प्रतिफल राजकोषीय घाटा बढऩे और अतिरिक्त उधारी की आशंका में बढ़ जाता है।
लेकिन इस तरह के बदलाव से जूझने वाला भारतीय बॉन्ड बाजार अकेला नहीं है। वैश्विक रूप से, केंद्रीय बैंक बॉन्ड प्रतिफल को नियंत्रित बनाए रखने के लिए बाजार में पूंजी लगाते हैं और इसलिए ब्याज दरें नीचे हैं।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में सहायक निदेशक सौम्यजीत नियोगी ने कहा, ‘हाल के महीनों में वृद्घि संबंधित मुद्रास्फीति की गति में बड़ा बदलाव आया है, जबकि बॉन्ड बाजार में नरम मौद्रिक स्थिति बनी हुई है।’
नियोगी ने कहा, ‘यह स्थिति अब वैश्विक घटनाक्रम बन गई है। यही वजह है कि बाजार इस धारणा पर जोर दे रहा है कि केंद्रीय बैंक सहायता मुहैया कराएगा।’
खासकर, भारत के लिए बॉन्ड डीलर वर्ष के शेष समय के लिए प्रतिफल सीमित दायरे में रहने का अनुमान जता रहे हैं।
एक बीमा कंपनी के साथ जुड़े एक वरिष्ठ बॉन्ड कारोबारी ने कहा, ‘बॉन्ड बाजार यह मान रहा है कि बॉन्ड प्रतिफल 5.80 से 5.95 प्रतिशत के दायरे में बना रहेगा। 5.95 प्रतिशत से आगे की स्थिति में आरबीआई द्वारा अपने ओएमओ पर ध्यान दिया जाएगा।’ नियोगी ने कहा, ‘ऐसे समय में जब राजकोषीय नीति का असर दिखना शुरू हो गया है, मौद्रिक नीति मजबूत सुधार को ध्यान में रखते हुए अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बनाए रखने पर केंद्रित होनी चाहिए।’