भारत में कॉरपोरेट आय अब बैंक, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन पर पहले के मुकाबले अधिक निर्भर दिख रही है। जुलाई से सितंबर 2024 के दौरान कुल कॉरपोरेट मुनाफे में बीएफएसआई क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़कर 38.5 फीसदी हो गई जो 2012 के बाद से सर्वाधिक है। साथ ही यह कुल कॉरपोरेट आय में इस क्षेत्र के ऐतिहासिक योगदान से करीब 60 फीसदी अधिक है। पिछले दस वर्षों के दौरान देश में कुल कॉरपोरेट मुनाफे में इस क्षेत्र की औसत हिस्सेदारी करीब 23.6 फीसदी रही है।
इसमें कोविड-19 के प्रकोप वाली अवधि को शामिल नहीं किया गया है। उस दौरान वैश्विक महामारी के कारण कई गैर-वित्तीय आर्थिक गतिविधियां बंद होने के कारण कुल आय में बीएफएसआई क्षेत्र के योगदान में काफी वृद्धि दर्ज की गई थी। अप्रैल से जून 2020 तिमाही के कुल कॉरपोरेट मुनाफे में बीएफएसआई क्षेत्र की हिस्सेदारी 57.2 फीसदी रही थी।
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में बीएफएसआई क्षेत्र के एकीकृत शुद्ध लाभ में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 15.3 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि गैर-बीएफएसआई कंपनियों के एकीकृत शुद्ध लाभ में इस दौरान 4.2 फीसदी की गिरावट आई। नमूने में शामिल 3,515 कंपनियों के एकीकृत शुद्ध लाभ में तिमाही के दौरान 2.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई।
वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में बीएफएसआई कंपनियों का एकीकृत शुद्ध लाभ 1.24 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 1.08 लाख करोड़ रुपये रहा था। मगर गैर-बीएफएसआई कंपनियों का एकीकृत शुद्ध लाभ वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 2.1 लाख करोड़ रुपये से घटकर 2.01 लाख करोड़ रुपये रह गया।
देश के कॉरपोरेट क्षेत्र की आय को भी बीएफएसआई क्षेत्र से बल मिलता है। नमूने में शामिल सभी सूचीबद्ध कंपनियों की एकीकृत आय (अन्य आय सहित) में इस क्षेत्र का योगदान 24.2 फीसदी रहा जो कोविड-19 लॉकडाउन अवधि को छोड़कर करीब एक दशक में सर्वाधिक है। एक साल पहले यह आंकडा 22.4 फीसदी रहा था।
कोविड महामारी से पहले सभी सूचीबद्ध कंपनियों की एकीकृत आय में बीएफएसआई क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 19 फीसदी थी। विश्लेषकों का कहना है कि कॉरपोरेट आय एवं मुनाफे में बीएफएसआई क्षेत्र की बढ़ती हिस्सेदारी का श्रेय लगातार दो अंकों दर्ज की जा रही वृद्धि को जाता है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक और सीईओ जी चोकालिंगम ने कहा, ‘पिछले तीन साल से ऋण वृद्धि लगातार दो अंकों में बढ़ रही है जबकि आईटी सेवा, एफएमसीजी, तेल एवं गैस, बिजली, धातु और सीमेंट जैसे अधिकतर प्रमुख गैर-वित्तीय क्षेत्रों में वृद्धि एकल अंक में रही है। इससे बीएफएसआई को अन्य क्षेत्रों के मुकाबले शानदार प्रदर्शन करने और कॉरपोरेट वृद्धि में अधिक योदान करने में मदद मिली।’
चोकालिंगम का मानना है कि गैर-वित्तीय क्षेत्र में वृद्धि संबंधी चुनौतियों के मद्देनजर अगली कुछ तिमाहियों के दौरान कॉरपोरेट आय एवं मुनाफे में बीएफएसआई के योगदान में वृद्धि जारी रहेगी।
नमूने में शामिल गैर-बीएफएसआई कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री में वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में महज 4.6 फीसदी की वृद्धि हुई। यह पिछली तीन तिमाहियों की सबसे सुस्त रफ्तार है। इसके मुकाबले बीएफएसआई कंपनियों की एकीकृत शुद्ध बिक्री (सकल ब्याज असय सहित) दूसरी तिमाही में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 13.5 फीसदी बढ़ गई।
सिस्टेमैटिक्स इंस्टीट्यूशनल इक्विटी के सह प्रमुख (अनुसंधान एवं इक्विटी रणनीति) धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘बीएफएसआई क्षेत्र को पिछले तीन वर्षों के दौरान तीन प्रमुख अनुकूल परिस्थितियों का फायदा हुआ है। इनमें वैश्विक महामारी के बाद ब्याज लागत में भारी गिरावट, खुदरा उधारी में दो अंकों की दमदार वृद्धि और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार शामिल हैं।
अब इन अनुकूल परिस्थितियों का दौर खत्म हो चुका है और ऋणदाताओं को ऋण वितरण में नरमी, उधारी लागत में तेजी और डूबते ऋण में वृद्धि जैसी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। आगे इसका प्रभाव क्षेत्र की आय पर दिख सकता है।’