बढ़ती ब्याज दरें और कम तरलता से हालांकि वित्तीय क्षेत्र के लिए नकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, लेकिन बढ़ती आर्थिक गतिविधि ऋणदाताओं के लिए अधिक कारोबारी वाली साबित हो सकती है। कैलेंडर वर्ष 2022 के दौरान बैंकिंग प्रणाली में तरलता आठ लाख करोड़ रुपये के अधिशेष से 33,000 करोड़ रुपये के घाटे में चली गई है। नवंबर के अंत तक बैंक क्रेडिट में सालाना आधार पर 17.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। नीतिगत दरों में 225 आधार अंक (बीपीएस) तक का इजाफा हुआ है।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों या NBFC पर क्या असर पड़ा है? वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में उनके फंड की लागत अधिक होती है तथा ऋण देने के उनके तरीके कुल मिलाकर जोखिम भरे होते हैं।
अलबत्ता एनबीएफसी के बैंक क्रेडिट में मजबूत रुझान नजर आ रहा है और एनबीएफसी की तरलता की परिस्थिति सहज बनी हुई है। अक्टूबर तक एनबीएफसी का बैंक ऋण अब तक 16 प्रतिशत (मासिक आधार पर 7 प्रतिशत) तक अधिक रहा है। इसके अलावा शीर्ष स्तर वाली एनबीएफसी हर महीने करीब 30,000 करोड़ रुपये तक के बॉन्ड जारी करने में सक्षम रही हैं।
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इसलिए अगर ऋण मांग बढ़ती है, तो एनबीएफसी के पास नकदी की कमी होने की आशंका नहीं है। एनबीएफसी के एए और एएए बॉन्ड के लिए जी-सेक दरों के ऊपर का दायरा लगभग 50 से 60 बीपीएस पर काफी कम है। इस तरह राजस्व वृद्धि एनआईएम (शुद्ध ब्याज मार्जिन) दबाव से अधिक होना चाहिए। वाहन वित्त और गिरवी रखकर ऋण देने वाले दो ऐसे प्रमुख बाजार हैं, जिनका एनबीएफसी के कुल ऋण में क्रमशः लगभग 28 प्रतिशत और 40 प्रतिशत योगदान रहता है।
वाणिज्यिक वाहन की गिरवी वाले एक प्रमुख बाजार में प्रतिस्थापन खरीद; खनन, बुनियादी ढांचे और ई-कॉमर्स की गतिविधियों में वृद्धि, कारोबार बढ़ने और माल ढुलाई दरों के स्थिर होने के कारण मजबूत वृद्धि देखी गई है। जहां ईंधन की कीमतें बढ़ी हैं, वहीं वे स्थिर होने के संकेत भी दे रही हैं। वाणिज्यिक वाहनों के चक्र में और तेजी आने से मांग में और इजाफा होना चाहिए।