भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने दिवाला व शोधक विशेषज्ञों की नियुक्ति में प्रशासनिक देरी से बचने के लिए विशेषज्ञों व परिमापक पेशेवरों का पैनल गठित करेगा। इस पैनल को राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण से साझा भी किया जाएगा।
आईबीबीआई को एनसीएलटी या ऋण वसूली प्राधिकरण के अनुरोध पर दिवाला पेशेवर के नाम की सिफारिश करनी होती है। दिवाला नियामक ने पैनल में दिवाला विशेषज्ञों को शामिल करने के लिए दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। इसके तहहत विशेषज्ञों की योग्यता शामिलहै जैसे अनुशासनात्मक कार्रवाई नहां हो, संबंधित कार्य के लिए प्राधिकरण का वैध पत्र शामिल हैं। दिवाला विशेषज्ञों के पैनल की वैधता छह महीने होगी और यह 1 जुलाई 2025 से 31 दिसंबर 2025 तक होगा। इस पैनल में पंजीकृत कार्यालय के आधार पर व्यक्तिगत दिवाला विशेषज्ञों की क्षेत्रवार और पीठवार सूची रहेगी।
पैनल में शामिल पात्र दिवाला विशेषज्ञों को जारी मामलों के आधार पर क्रमबद्ध किया जाएगा। बोर्ड ने दिशानिर्देशों में कहा, “संहिता के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त करने के लिए संहिता के परिसमापन और कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रियाओं से संबंधित असाइनमेंट के दायित्व को संभाल रहे दिवाला पेशेवरों पर विचार करना आवश्यक है। ‘
दिवाला नियामक ने कहा कि एक जैसे अंक वाले दो या अधिक पेशेवर होने की स्थिति में इस बोर्ड में पंजीकरण की तिथि के आधार पर दायित्व दिया जाएगा। दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण या ऋण वसूली प्राधिकरण या भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड की मंजूरी के बिना विशेषज्ञ अपनी सहमति वापस नहीं लेंगे या नियुक्ति अस्वीकार नहीं करेंगे।
यदि दिवाला विशेषज्ञ बिना औचित्य के नियुक्ति से इनकार करता है तो इसे बोर्ड सहमति से इनकार मानेगा और उसका नाम छह महीने के लिए बोर्ड से हटा दिया जाएगा। हालांकि संबंधित प्राधिकरण के निर्देश पर बोर्ड पैनल से इतर भी विशेषज्ञों की नियुक्ति कर सकता है।