facebookmetapixel
प्रीमियम स्कूटर बाजार में TVS का बड़ा दांव, Ntorq 150 के लिए ₹100 करोड़ का निवेशGDP से पिछड़ रहा कॉरपोरेट जगत, लगातार 9 तिमाहियों से रेवेन्यू ग्रोथ कमजोरहितधारकों की सहायता के लिए UPI लेनदेन पर संतुलित हो एमडीआरः एमेजॉनAGR बकाया विवाद: वोडाफोन-आइडिया ने नई डिमांड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख कियाअमेरिका का आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स का प्रस्ताव, भारतीय IT कंपनियां और GCC इंडस्ट्री पर बड़ा खतरासिटी बैंक के साउथ एशिया हेड अमोल गुप्ते का दावा, 10 से 12 अरब डॉलर के आएंगे आईपीओNepal GenZ protests: नेपाल में राजनीतिक संकट गहराया, बड़े प्रदर्शन के बीच पीएम ओली ने दिया इस्तीफाGST Reforms: बिना बिके सामान का बदलेगा MRP, सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक की दी मोहलतग्रामीण क्षेत्रों में खरा सोना साबित हो रहा फसलों का अवशेष, बायोमास को-फायरिंग के लिए पॉलिसी जरूरीबाजार के संकेतक: बॉन्ड यील्ड में तेजी, RBI और सरकार के पास उपाय सीमित

भुगतान से राहत के दौरान ब्याज क्यों?

Last Updated- December 15, 2022 | 8:12 PM IST

उच्चतम न्यायालय के एक पीठ ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के निर्देश पर कर्ज चुकाने में मिली छह महीनों की मोहलत (मॉरेटोरियम) पर आज कहा कि इस अवधि का ब्याज ग्राहकों से वसूला जाना ‘नुकसानदेह’ हो सकता है। अदालत ने वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक से इस बारे में 12 जून तक जवाब तलब किया है।
अदालत की टिप्पणी कर्ज की किस्तें टालने के दौरान ब्याज वसूले जाने के खिलाफ दायर यचिका की सुनवाई पर आई। इससे पहले कल रिजर्व बैंक ने अदालत में कहा था कि कर्ज पर ब्याज माफ करने से देश के वित्तीय क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता पर असर पड़ेगा। उसने यह भी कहा था कि छह महीने के मॉरेटोरियम की अवधि में ब्याज माफ कर देने से बैंकों को ब्याज से होने वली 2 लाख करोड़ रुपये की आय गंवानी पड़ सकती है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह के पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 12 जून को रखी है। अदालत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को उस तारीख पर वित्त मंत्रालय और केंद्रीय बैंक के जवाब सौंपने का निर्देश दिया। पीठ ने रिजर्व बैंक का जवाब मीडिया में आने पर भी सवाल किया। न्यायमूर्ति भूषण ने पूछा, ‘क्या रिजर्व बैंक अपना जवाब पहले मीडिया के सामने और उसके बाद अदालत में पेश कर रहा है?’
पीठ ने कहा कि वह दो पहलुओं पर विचार कर रहा है – मॉरेटोरियम अवधि के दौरान कर्ज पर किसी तरह का ब्याज नहीं दिया जाए और ब्याज पर किसी तरह का ब्याज नहीं लगाया जाए। अदालत ने कहा कि यह चुनौतीपूर्ण समय है और यह गंभीर मसला है क्योंकि एक ओर मॉरेटोरियम दिया जा रहा है औŸर दूसरी ओर कर्ज पर ब्याज वसूला जा रहा है। कर्ज टालते समय भी ब्याज वसूलना नुकसानदेह है। पीठ ने यह भी कहा कि आर्थिक हित लोगों की सेहत से बढ़कर नहीं हैं।
पीठ मॉरेटोरियम के दौरान कर्ज पर ब्याज वसूले जाने के खिलाफ आगरा निवासी गजेंद्र शर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अपनी याचिका में शर्मा ने रिजर्व बैंक की 27 मार्च की अधिसूचना के उस हिस्से को केंद्रीय बैंक की कानूनी शक्ति या अधिकार के परे घोषित किए जाने का अनुरोध किया है, जिस हिस्से में मॉरेटोरियम के दौरान कर्ज पर ब्याज वसूले जाने का प्रावधान है। शर्मा का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील राजीव दत्ता ने कहा कि रिजर्व बैंक के बुधवार के हलफनामे से साबित हो गया है कि जब पूरा देश महामारी से जूझ रहा है तब उसके लिए बैंकों का मुनाफा ज्यादा अहम है। दूसरी तरफ मेहता ने कहा कि वह वित्त मंत्रालय से मशविरा करेंगे और पीठ द्वारा पूछे गए दोनों प्रश्नों का हल पाने की कोशिश करेंगे। उसके बाद वह पीठ के सामने जवाब पेश करेंगे।

First Published - June 4, 2020 | 10:39 PM IST

संबंधित पोस्ट