देश के प्रमुख डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) पर अप्रैल 2022 के दौरान सर्वकालिक सर्वाधिक 9.83 लाख करोड़ रुपये के 5.58 अरब लेनदेन देखे गए। मार्च में यूपीआई ने पहली बार एक महीने में पांच अरब से ज्यादा लेनदेन किए थे।
मार्च की तुलना में, लेनदेन की मात्रा 3.33 प्रतिशत अधिक और लेनदेन का मूल्य 2.36 प्रतिशत अधिक रहा। मार्च में यूपीआई ने 9.6 लाख करोड़ रुपये के 5.4 अरब लेनदेन निपटाए थे।
हालांकि सालाना आधार पर लेनदेन की मात्रा में 111 प्रतिशत का इजाफा हुआ और लेनदेन के मूल्य में करीब 100 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई। अप्रैल 2021 में यूपीआई ने 4.93 लाख करोड़ रुपये के2.64 अरब लेनदेन संसाधित किए थे। वित्त वर्ष 22 की शुरुआत में वैश्विक महामारी की दूसरी लहर की वजह से लेनदेन में कुछ गिरावट आई थी। लेकिन इसके बाद से व्यापक अर्थव्यवस्था में सुधार दर्शाते हुए यूपीआई के लेनदेन में वृद्धि का रुख रहा।
दरअसल वैश्विक महामारी से पिछले दो वर्षों के दौरान देश में डिजिटल भुगतान अपनाने में तेजी आई है। वित्त वर्ष 22 में यूपीआई ने 84.17 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि के 46 अरब से अधिक लेनदेन संसाधित किए, इस प्रकार इसने एक लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया। और वित्त वर्ष 21 में इसने 41.03 लाख करोड़ रुपये के 22.28 अरब लेनदेन संसाधित निपटाए थे। इस तरह लेनदेन की मात्रा और मूल्य दोनों ही एक साल के समय में दोगुने हो गए, जो देश में डिजिटल भुगतान, विशेष रूप से यूपीआई को अपनाए जाने में तेजी को दर्शाता है।
इसके अलावा वैश्विक महामारी की शुरुआत होने के बाद से यूपीआई लेनदेन की मात्रा और मूल्य में 350 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हो चुका है। जहां एक ओर शुरुआत में यूपीआई को पीयर-टु-पीयर (पी2पी) लेनदेन के लिए भुगतान के पसंदीदा तरीके के रूप में माना जाता था, वहीं दूसरी ओर अब यह पीयर-टु-मर्चेंट (पी2एम) लेनदेन के लिए पसंदीदा तरीके के रूप में उभरा है, जिसकी वर्ष 2021 में मात्रा के लिहाज से बाजार हिस्सेदारी 56 प्रतिशत से अधिक रही।
यूपीआई ने वर्ष 2016 में इसकी शुरुआत होने के लगभग 3 साल बाद अक्टूबर 2019 में पहली बार एक अरब से ज्यादा लेनदेन किया था। लेकिन अगला एक अरब का अगला स्तर एक वर्ष के भीतर ही आ गया। अक्टूबर 2020 में यूपीआई दो अरब से अधिक लेनदेन संसाधित किए था।
