अगर आप ने एक से अधिक बैंकों में खाते खोल रखे हैं तो फिर आपको अपने हर बैंक खाते की संख्या याद रखने की जरूरत नहीं है।
जी हां, इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग की अवधारणा आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने बैंकों को एक आदमी के लिए एक ही बैंक खाता होने की संभावनाओं का पता लगाने को कहा है।
अगर इस बारे में जल्द ही कोई शुरुआत होती है तो फिर आपको हर बैंक के अपने अलग-अलग खातों की संख्या याद रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इस बारे में भारतीय बैंक महासंघ के सूत्रों का कहना है कि हाल में ही सरकार ने बैंकों को एक आदमी एक एकाउंट के बाबत संभावनाओं का पता लगाने को कहा है।
हालांकि इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है कि इस नई संकल्पना की शुरुआत कैसे की जाएगी लेकिन इतना जरूर है कि आपके सभी बैंक खातों को एक ही संख्या से जोड़ने की संभावना है।
बैंकरों के अनुसार इसकी सफलता के लिए बैंकों को अपने नेटवर्क को एक दूसरे से जोड़ने की जरूरत होगी या फिर किसी एजेंसी को बैंकों की तरफ से इस कार्य को पूरा करने केलिए आगे आना पड़ेगा। सूचना प्रौद्योगिकी में हुए जबरदस्त विकास से इस नई योजना को शुरू करने में काफी मदद मिल सकती है।
आईडीबीआई इंटेक के मुख्य कार्यकारी संजय शर्मा ने कहा कि समान बैंक खाते की संकल्पना अभी अपने शुरुआती चरण में है और कम से कम फिलहाल इस बारे में कुछ भी ठोस कहना बहुत मुश्किल लग रहा है।
हालांकि कई बैंकरों का मानना है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली फिलहाल इस नई पहल केलिए पूरी तरह तैयार नहीं दिखती है। इस बाबत एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने कहा कि इस योजना पर अमल के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में भारतीय ग्राहकों के लिए कोर बैंकिंग प्रणाली के जरिए परिचालन करना अपने आप में एक नया प्रयोग है। गौरतलब है कि कोर बैंकिंग प्रणाली के जरिए ग्राहक कुछ शुल्क का भुगतान कर देश के किसी भी कोने से अपने खाते की जानकारी और लेन-देन कर सकते हैं।
बैंकिंग जगत में इस नए प्रयोग से कारोबार करना करना काफी हद तक सुगम हो गया है। शायद इसी से उत्साहित होकर बैंकिंग जगत में एक और नए प्रयोग के लिए सरकार द्वारा पहल की गई है।