सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अब जमा आकर्षित करने के लिए उन क्षेत्रों की तलाश कर रहे हैं, जहां उनकी उपस्थिति कम रही है। बैंक इस समय हेल्थकेयर और हाउसिंग सोसाइटी जैसे क्षेत्रों के साथ समझौते कर रहे हैं और वेतनभोगियों के खाते, महिलाओं के खाते खोलने के लिए आकर्षक पेशकश की योजना बना रहे हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने सरकारी बैंकों के 4 अधिकारियों के साथ बात की, जिन्होंने नाम सार्वजनिक न किए जाने की शर्त पर जानकारियां दी हैं।
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने कहा, ‘जमा बढ़ाने के लिए हमने हेल्थकेयर और हाउसिंग सोसाइटीज जैसे सेक्टर में संभावनाएं तलाशना शुरू किया है, जिन पर पहले ध्यान नहीं दिया गया था। हमारे सहित कई बैंकों ने आकर्षक दरों पर 444 दिन की एफडी जैसी फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) योजनाएं पेश की हैं। इन योजनाओं का इस्तेमाल जमा बढ़ाने के लिए किया जा रहा है।’
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के बोर्ड की बैठक के बाद शनिवार को मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकों से नवोन्मेषी और आकर्षक योजनाएं पेश करने की अपील की, जिससे जमा आकर्षित किया जा सके। उन्होंने कहा कि जमा और ऋण बैलगाड़ी के दो पहिए हैं और जमा में वृद्धि की रफ्तार सुस्त है। उन्होंने जोर दिया कि बैंकों को कोर बैंकिंग गतिविधियों पर ध्यान देने की जरूरत है, जिनमें जमा आकर्षित करना और जरूरतमंदों को ऋण देना शामिल है।
संवाददाताओं से बात करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ब्याज दरें नियमन के दायरे से बाहर हैं और बैंक ब्याज दर तय करने को स्वतंत्र हैं।
एक दूसरे बैंक अधिकारी ने कहा, ‘हमने पाया है कि खासकर कोविड-19 महामारी के बाद तमाम छोटे निवेशकों और परिवारों ने सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (सिप) और इक्विटी में पैसे लगाना शुरू कर दिया है। इस बदलाव की वजह से वे निवेश के परंपरागत साधनों जैसे सावधि जमा (एफडी) और आवर्ती जमा (आरडी) से दूर हो गए हैं। महंगाई एक और वजह है, जिसकी वजह से लोगों की बचत घटी है।’
इक्रा रेटिंग्स के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022, वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 के दौरान सरकारी बैंकों की जमा वृद्धि की दर 8.1 प्रतिशत, 9.3 प्रतिशत और 10.1 प्रतिशत रही है, वहीं ऋण वृद्धि की दर 11 प्रतिशत, 17.5 प्रतिशत और 14.8 प्रतिशत रही।
सार्वजनिक क्षेत्र के तीसरे बैंकर ने कहा, ‘भारत में सभी बैंकों के लिए जमा एक अहम मसला बना हुआ है और इसके सीमित विकल्प मौजूद हैं। बैंकों को उत्पादों का ढांचा बनाने की जरूरत होगी, जो ग्राहकों को आकर्षित कर सके। इससे वे अन्य निवेशकों या पहलों के विकल्प के रूप में इसका चयन कर सकेंगे। इस समय बैंकों के उपलब्ध प्रोडक्ट बुनियादी हैं और सिर्फ मानक ब्याज दरों की पेशकश की जा रही है।’
जून 2024 में जारी रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी के दौरान परिवारों की बचत तेजी से बढ़ी थी, जो बाद में कम होती गई। इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा परिवारों अपनी बचत अन्य क्षेत्रों में भी लगाना शुरू किया है और वे गैर बैंक और पूंजी बाजारों में धन लगा रहे हैं।’
बहरहाल इक्रा ने कहा है कि सरकारी बैंकों का क्रेडिट-टु-डिपॉजिट रेशियो मार्च 2024 में 74 प्रतिशत के सुविधापूर्ण स्तर पर बना हुआ है।
वरिष्ठ बैंकर ने आगे कहा कि बैंक वैकल्पिक साधनों जैसे बीमा से जुड़े उत्पाद, यात्रा लाभ या खाते के साथ क्रेडिट कार्ड जैसी पेशकश कर रहे हैं।
पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अतुल कुमार गोयल ने एक साक्षात्कार में कहा था, ‘ऋण में वृद्धि और जमा में वृद्धि का अंतर ज्यादा है। हम बाजार से थोक जमा पर विचार नहीं कर रहे हैं, क्योंकि वह महंगा है और उससे हमारा मकसद हल नहीं होता है। हम नए ग्राहकों को जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इससे जमा बढ़ाने में मदद मिल रही है।’