शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) की वित्तीय व संपत्ति की गुणवत्ता वित्त वर्ष 2019-20 में खराब हुई है। इस सेक्टर ने शुद्ध हानि, बढ़े खराब कर्ज और प्रावधान कवरेज अनुपात में गिरावट की रिपोर्ट दी है।सकल गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) 2018-19 के 7.3 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 20 में 10.8 प्रतिशत हो गई। कुल मिलाकर एनपीए 10,900 करोड़ रुपये जुड़ा, जिसकी वजह से मार्च 2020 तक यह राशि 33,010 करोड़ रुपये पहुंच गई।
भारतीय रिजर्व बैंक के भारत में बैंकिंग की धारणा और प्रगति नाम से आई रिपोर्ट के मुताबिक एनपीए में बढ़ोतरी की एक वजह कर्ज और अग्रिम में वृद्धि में स्थिरता और कमजोर बैलेंस सीट है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की तुलना में यूसीबी में पहले से ही एनपीए का स्तर ज्यादा रहा है। बहरहाल यह स्थिति बदल गई और संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा की वजह से एससीबी में ज्यादा एनपीए पाया गया, जबकि समय बीतने के साथ यूसीबी की संपत्ति गुणवत्ता में मामूली सुधार हुआ।
2019-20 में यूसीबी का जीएनपीए अनुपात फिर एससीबी से आगे हो गया। यह बदलाव एससीबी की संपत्ति की गुणवत्ता में दो लगातार वर्षों में सुधार के कारण हुआ, जबकि यूसीबी में चूक बढ़ी है।
एससीबी में मार्च 2019 में 9.1 प्रतिशत जीएनपीए था, जबकि मार्च 2020 में 8.2 प्रतिशत एनपीए था। 2019-20 में सकल एनपीए और प्रॉविजनिंग में बढ़ोतरी हुई लेकिन प्रॉविजन में बढ़ोतरी पूरी तरह से वृद्धि के अनुपात में नहीं रही और इसकी वजह से शुद्ध एनपीए अनुपात बढ़ा।
कुल मिलाकर 2019-20 में यूसीबी का परिचालन मुनाफा प्रभावित हुआ है। उनकी ब्याज से आय, जिसकी कुल आमदनी में 89 प्रतिशत हिस्सेदारी है, लगातार दूसरे साल कम हुई है।
