भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी की अटकलों से न केवल क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए अनिश्चितता का माहौल खड़ा हो गया है बल्कि एनएफटी और ब्लॉकचेन क्षेत्र में काम कर रहे भागीदारों की भी चिंता बढ़ गई है। क्रिप्टो एक्सचेंज के कई संस्थापक अपना कारोबार संयुक्त अरब अमीरात या सिंगापुर ले जाने पर विचार कर रहे हैं।
वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक क्रिप्टो और ब्लॉकचेन से संबंधित स्टार्टअप को भारत में मिलने वाली पूंजी इस साल 20 गुना बढ़ गई है। 2020 में 5 ऐसी स्टार्टअप को 80 करोड़ डॉलर का निवेश मिला है और 24 कंपनियों ने इस साल अब तक 50.2 करोड़ डॉलर का निवेश जुटाया है।
ट्रैक्शन के आंकड़ों से पता चलता है कि 2011 से क्रिप्टोकरेंसी में कुल 376 फर्मों का गठन किया गया है। इसी तरह भारत में ब्लॉकचेन श्रेणी में 711 स्टार्टअप का गठन किया गया और एनएफटी सेगमेंट में करीब 12 फर्में अस्तित्व में आई हैं।
ईपीएनएस के संस्थापक हर्ष रजत ने कहा, ‘अगर देश में क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगता है तो हम यहां से बाहर जा सकते हैं। हमारे वकील देख रहे हैं कि ऐसी परिस्थिति में क्या किया जा सकता है।’
ईपीएनएस इथेरियम ब्लॉकचेन पर कम्युनिकेशन लेयर विकसित कर रही है और इस स्टार्टअप ने कॉइनबेस के पूर्व अधिकारी बालाजी श्रीनिवासन तथा सिलिकन वैली के निवेशक नवल रविकांत से 16 लाख डॉलर की शुरुआती पूंजी जुटाई है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम कहीं जाना नहीं चाहेंगे क्योंकि उस सूरत में हमें विदेश में कंपनी पंजीकृत कराने तक अन्य वेंचर कैपिटल फर्मों के साथ सलाहकार के तौर पर काम करना पड़ेगा।’
पिछले साल चीन के ऐप पर पाबंदी लगाए जाने के बाद चर्चा में आए शॉर्ट वीडियो ऐप चिंगारी ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह अपनेे प्लेटफॉर्म पर क्रिएटरों को मुद्रीकरण और प्रोत्साहन के लिए क्रिप्टो आधारित मोड को अपनाएगी। उसके अपने क्रिप्टो टोकन गारी का बाजार पूंजीकरण अभी 3 करोड़ डॉलर है।
कंपनी के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी सुमित घोष ने कहा, ‘अगर क्रिप्टो पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई जाती है तो हम भारत में मुद्रीकरण के लिए क्रिप्टो टोकन आधारित मॉडल को निरस्त कर देंगे और विज्ञापन आधारित मॉडल पर वापस आ जाएंगे।
हालांकि चिंगारी इंडोनेशिया जैसे देशों में विस्तार कर रही है और वहां क्रिप्टो मॉडल को लेकर कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।’
बिजनेस स्टैंडर्ड ने क्रिप्टो से संबंधित कई अन्य संस्थापकों से बात की और उन्होंने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि क्रिप्टो पर पूर्ण प्रतिबंध की संभावना नहीं है लेकिन मौजूदा हालात ने अनिश्चितता पैदा की है और कई संस्थापकों ने अपनी कंपनियां दूसरे देशों में ले जाने का विकल्प चुना है।
एक्नॉलेजर के सह-संस्थापक अभिषेक सिंह राजपुरोहित ने कहा, ‘वैश्विक स्तर पर देखें तो सरकारों ने क्रिप्टो को प्रतिबंधित नहीं किया है बल्कि उसका विनियमन किया है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत में भी ऐसा ही होगा। उद्योग में हमने सुना है कि कई संस्थापक भय, अनिश्यिचतता और आशंका के मद्देनजर अपने कारोबार को दुबई और सिंगापुर ले जा रहे हैं।’ एक्नॉलेजर ने हाल ही में 30 निवेशकों और वेंचर कैपिटल से 15.3 लाख डॉलर की शुरुआती पूंजी जुटाई है।
क्रिप्टो स्टार्टअप वॉल्ड ने हाल ही में भारतीय उपयोकर्ताओं को अपनी डिजिटल संपत्तियां रखने और उसमें कारोबार करने की अनुमति दी है। वॉल्ड ने कहा कि उसे उम्मीद है कि ऐसा प्रावधान होगा, जिसमें उसके मौजूदा उपयोगकर्ताओं को बिना किसी चिंता के अपना निवेश बेचने की अनुमति दी जाएगी। यह स्टार्टअप पहले ही बेंगलूरु और सिंगापुर में कार्यरत है और इसने करीब 50 करोड़ डॉलर के क्रिप्टो ऋण की सुविधा भी दी है।
वॉल्ड के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी दर्शन बठीजा ने कहा, ‘अगर क्रिप्टो प्रतिबंधित होती है तो भारतीय डेवलपर को विकेंद्रीकृत वित्त का लाभ नहीं मिलेगा और क्रिप्टो की दुनिया में होने वाले नवोन्मेष से वे वंचित रह जाएंगे।’
कई एनएफटी प्लेटफॉर्म ने कहा कि क्रिप्टो प्रतिबंधित होने से उन्हें अपना कारोबार बंद करने की जरूरत नहीं होगी। एनएफटी प्लेटफॉर्म उस प्रणाली में शिफ्ट हो जाएगा, जहां एनएफटी का कारोबार केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी के नियमों के आधार पर होगा। क्रिप्टो एक्सचेंज वजीरएक्स के संस्थापक निश्चल शेट्टी ने कहा, ‘प्रतिबंध होने का मतलब है कि भारत से क्रिप्टो और ब्लॉकचेन स्टार्टअप बाहर चली जाएंगी। मेरे विचार से सरकार बीच का कोई रास्ता निकालेगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो भारत में डेढ़ से दो करोड़ क्रिप्टो निवेशकों का क्या होगा जिनके पास करीब 4 अरब डॉलर की क्रिप्टो संपत्ति है? उनकी संपत्तियां कौन खरीदेगा?’
