धन जुटाने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है। इसे देखते हुए भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खाते में जमा पर ब्याज दर में 30 आधार अंक की बढ़ोतरी कर दी है और अब 10 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा बैलेंस पर 3 प्रतिशत ब्याज मिलेगा।
वहीं 10 करोड़ रुपये से कम जमा पर ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है और वह 2.70 प्रतिशत है। देश के सबसे बड़े बैंक ने एक बयान में कहा है कि संशोधित दरें 15 अक्टूबर 2022 से लागू होंगी।
एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि बचत खाते में जमा धन में बड़ी हिस्सेदारी खुदरा- परिवारों और व्यक्तियों की होती है। वहीं कुछ संस्थान और सरकारी विभाग भी इन खातों में धन रखते हैं। खुदरा फंड बहुत स्थिर है, वहीं संस्थागत धन में उतार चढ़ाव होता है, इसलिए उसमें कुछ छूट देनी पड़ती है जिससे धन बना रह सके।
भारी जमा यानी 2 करोड़ रुपये से ऊपर की सावधि जमा पर पहले ही ब्याज दर को लेकर बैंकों में जंग चल रही है। ऐसे में बचत खाता इस धारणा से अलग नहीं रह सकते।
10 करोड़ रुपये तक के जमा पर ब्याज दर में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर एसबीआई के अधिकारी ने कहा कि अभी कोई दबाव नहीं है, लेकिन बैंक स्थिति की निगरानी कर रहा है, जिससे कर्ज की मांग और जमा के बीच अंतर को भरा जा सके।
कुल जमा में चालू खाता और बचत खाता (सीएएसए) की हिस्सेदारी 30 जून 2022 को 45.33 प्रतिशत थी, जो एक साल पहले के 45.97 प्रतिशत की तुलना में मामूली कम है। एसबीआई का सीएएसए जमा पिछले साल की तुलना में 6.54 प्रतिशत बढ़कर जून 2022 के अंत तक 17,67,666 करोड़ रुपये हो गया है।
उधारी की दर बढ़ने के अनुपात में जमा दर में बढ़ोतरी नहीं हुई है, भले ही रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने इस साल मई से बेंचमार्क रीपो रेट में 190 आधार अंक की बढ़ोतरी कर दी है।
इसके साथ ही अर्थव्यवस्था में जमा में बढ़ोतरी देखी जा रही है। रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों के मुताबिक 23 सितंबर को समाप्त पखवाड़े में जमा में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 9.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि ऋण में 16.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। कर्ज और जमा के अनुपात में पिछले कुछ महीने से बढ़ोतरी हो रही है, जिससे विश्लेषकों की चिंता बढ़ रही है। उनका कहना है कि जमा दर कम होना कर्ज की वृद्धि में व्यवधान का काम कर सकता है।
लेकिन बैंकिंग व्यवस्था में नकदी घट रही है, क्योंकि महंगाई पर काबू पाने के लिए रिजर्व बैंक अतिरिक्त नकदी खींच रहा है। उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि देर सबेर बैंकों को जमा दरों में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी, जिसे नकदी आ सके और व्यवस्था में ऋण में वृद्धि के मुताबिक कर्ज दिया जा सके।