भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (incremental CRR) को वापस लेने का फैसला किया। इसे 2,000 रुपये के नोट चलन से हटाने की घोषणा के बाद अतिरिक्त नकदी में कटौती के लिए लागू किया गया था।
RBI ने एक बयान में I-CRR को चरणबद्ध ढंग से वापस लिए जाने की घोषणा करते हुए कहा कि इसकी शुरुआत शनिवार से हो जाएगी। रिजर्व बैंक ने 10 अगस्त को बैंकों को जारी निर्देश में कहा था कि 19 मई और 28 जुलाई के बीच वे 10 प्रतिशत वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (I-CRR) को बनाए रखें। इस कदम का मकसद बैंकिंग प्रणाली में 2,000 रुपये के नोटों की वापसी समेत विभिन्न कारकों से पैदा हुई अतिरिक्त नकदी को अवशोषित (absorb) करना था।
केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘समीक्षा के बाद I-CRR को चरणबद्ध तरीके से वापस लेने का निर्णय लिया गया है।’
RBI ने कहा कि नकदी से संबंधित मौजूदा एवं उभरती हुई स्थितियों के आकलन के बाद यह फैसला किया गया कि I-CRR के तहत वित्तीय प्रणाली से ली गई नकदी को चरणबद्ध ढंग से जारी किया जाएगा। इस फैसले के पीछे यह वजह रही कि प्रणाली को अचानक नकदी के झटके का सामना न करना पड़े और मुद्रा बाजार व्यवस्थित ढंग से कार्य कर सके।
RBI ने कहा कि बैंकों के पास रखी गई I-CRR की 25 प्रतिशत राशि नौ सितंबर को और 25 प्रतिशत राशि 23 सितंबर को जारी की जाएगी। बाकी राशि सात अक्टूबर को जारी की जाएगी।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने I-CRR की घोषणा करते समय संकेत दिया था कि यह प्रावधान नकदी प्रबंधन के लिए एक अस्थायी उपाय है।
RBI ने कहा था कि त्योहारी मौसम से पहले इस राशि को बैंकिंग प्रणाली में वापस लाने के लिए आठ सितंबर 2023 या उससे पहले I-CRR की समीक्षा की जाएगी।