वित्तीय सेवा सचिव एम नागराजू ने गुरुवार को छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों (MFIs) से वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए अपनी ब्याज दरें उचित रखने का आग्रह किया।
नागराजू ने MFIs के लिए आरबीआई द्वारा नियुक्त स्व नियामक संगठन, सा-धन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे कुछ MFIs की ब्याज दरें संतोषजनक नहीं लगती हैं। वास्तव में ऐसा इन संस्थानों की अक्षमताओं के कारण होता है।’’
उन्होंने कहा कि उच्च या अनुचित ब्याज दर का कारण लागत दक्षता और उत्पादकता हासिल करने में विफलता हो सकती है। सचिव ने MFIs से आग्रह किया कि उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उत्पादकता और लागत दक्षता हासिल करें जिससे कर्ज लेने वालों के लिए ब्याज दरें कम हों।
Also Read: बुलेट बनाने वाली कंपनी का मुनाफा 25% बढ़कर ₹1,369 करोड़, रेवेन्यू में 45% की उछाल
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को पैसे की सख्त जरूरत होती है, वे ऊंची ब्याज दर पर उधार ले सकते हैं। लेकिन वे उसे वापस नहीं कर पाते, जिसके परिणामस्वरूप वित्तीय संस्थानों में दबाव वाली संपत्तियों में वृद्धि होती है। इस क्षेत्र में दबाव के कारण खातों की संख्या घटकर मार्च, 2025 के अंत तक 3.4 लाख हो गई है, जो 31 मार्च, 2024 को 4.4 लाख थी।
नागराजू ने देश में छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि वित्तीय समावेश और महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने के लिए ये संस्थान बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये घर-घर जाकर कर्ज देते हैं। उन्होंने MFIs से वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने के लिए नए तरीके अपनाने का भी आग्रह किया।
Also Read: क्या सोने की बढ़ती कीमतें आने वाली महंगाई का संकेत दे रही हैं? एक्सपर्ट ने दिया बड़ा संकेत
नागराजू ने कहा, ‘‘हमारे पास अभी भी लगभग 30-35 करोड़ युवा हैं जिन्हें वित्तीय समावेश के दायरे में लाने की आवश्यकता है। बड़ी संख्या में सरकारी योजनाओं के बावजूद, हमारी आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी वित्तीय समावेश से बाहर है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिस पर MFIs को ध्यान देना होगा।’’
उन्होंने कहा कि ऐसे नए कदम या उपाय लाने की आवश्यकता है ताकि वंचित आबादी एक संगठित ‘चैनल’ का हिस्सा बन सके।
इस मौके पर राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष शाजी के वी ने कहा कि MFIs सेक्टर में दबाव कम हो रहा है और इस सेक्टर को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
शाजी ने कहा कि नाबार्ड स्वयं सहायता समूह प्रणाली का डिजिटलीकरण कर रहा है और ग्रामीण क्रेडिट स्कोर भी विकसित कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम उन छोटी राशि के कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों के साथ ग्रामीण क्रेडिट स्कोर के लिए कुछ पायलट परियोजना कर रहे हैं जो काफी गरीब लोगों को ऋण देते हैं।’’
(PTI इनपुट के साथ)