भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को डिजिटल उधारी ऐप से जुड़ीं 13,000 के करीब शिकायतें मिली हैं। संसद में पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री भागवत करड ने बताया कि पिछले 19 महीनों (अप्रैल 21 से नवंबर 22) में रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना 2021 के तहत डिजिटल उधारी ऐप्लीकेशन और रिकवरी एजेंटों द्वारा उत्पीड़न की यह शिकायतें आई हैं।
मंत्री ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के मुताबिक 1.04.2021 और 30.11.2022 के बीच बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की डिजिटल उधारी ऐप्लीकेशंस और रिकवरी एजेंटों के उत्पीड़न से जुड़ी 12,903 शिकायतें आई हैं। ये शिकायतें रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना के तहत प्राप्त हुई हैं।’
रिजर्व बैंक ने 2021 में एकीकृत लोकपाल योजना शुरू की थी। इसमें बैंकों व एनबीएफसी की डिजिटल उधारी से जुड़ीं शिकायतें दर्ज कराई जा सकती हैं और लोकपाल को अधिकार दिया गया है कि वह शिकायतकर्ता को हुए 20 लाख रुपये तक नुकसान की भरपाई का आदेश दे सकता है। साथ ही शिकायतकर्ता का समय बर्बाद होने और उसके मानसिक व शारीरिक उत्पीड़ने के हर्जाने के रूप में 1 लाख रुपये तक दिया जा सकता है।
महामारी के दौरान तमाम ऐसे मामले सामने आए, जब डिजिटल उधारी देने वालों ने कर्ज लेने वालों का उत्पीड़न किया। कर्जदाताओं पर बहुत ज्यादा ब्याज लेने और रिकवरी के अनुचित तरीकों के इस्तेमाल के आरोप लगे, जिसमें उत्पीड़न के दौरान कुछ व्यक्तियों की मृत्यु भी हो गई।
इस तरह की बढ़ती घटनाओं से चिंतित रिजर्व बैंक ने एक बयान जारी करके कहा कि इस समय अनधिकृत डिजिटल उधारी प्लेटफॉर्म और मोबाइल ऐप बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं और तत्काल व बाधारहित तरीके से कर्ज देने के दावे कर रहे हैं। ऐसे ऐप से आम जनता को सावधान रहने की जरूरत है। उसके बाद रिजर्व बैंक ने कार्यसमूह का गठन कर डिजिटल उधारी गतिविधियों के सभी पहलुओं की जांच करने को कहा। समिति ने पाया कि ज्यादातर शिकायतें उन उधारी ऐप से जुड़ी हैं, जो रिजर्व बैंक के नियमन के दायरे में नहीं आते।