भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ऋण संबंधी सूचना इकट्ठा करने वाली कंपनियों (सीआईसी) में निवेश के मामले में कुछ ढील देने पर विचार कर रहा है।
बैंक इन कंपनियों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) के तहत किसी एक पक्ष की होल्डिंग की सीमा बढ़ाकर 49 फीसद तक कर सकता है। एक पक्ष की होल्डिंग यानी सिंगल एंटिटी होल्डिंग की समीक्षा करने की बात चल रही है।
दरअसल इस बारे में सरकार रिजर्व बैंक को पहले ही निर्देश दे चुकी है। यह निर्देश प्रेस नोट 1, 2008 के तहत एफडीआई नियम आने के बाद दिया गया था। इसके बाद आरबीआई की अधिसूचना में ने ऐसी कंपनियों में सिंगल एंटिटी होल्डिंग के बारे में विभिन्न नजरिये उभरकर सामने आए थे। इसकी वजह से इस मामले में अब तक कोई भी स्पष्ट निर्णय नहीं दिया जा सका है।
इतना ही नहीं, अब सरकार सिंगल एंटिटी होल्डिंग के इस एक ही विषय पर दो विभिन्न दिशानिर्देशों का सामंजस्य चाहती है। सीआईसी वे कंपनियां होती हैं, जो कर्ज लेने वालों के बारे में सूचनाएं इकट्ठा करती हैं, उनकी प्रॉसेसिंग करती हैं और उन्हें साझा करती हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाली पहली कंपनी क्रेडिट इनफॉर्मेशन ब्यूरो है।
हालांकि आरबीआई एफडीआई और विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) दोनों के ही लिए सिंगल एंटिटी होल्डिंग की सीमा 10 फीसद तक ही रोकना चाहती है। लेकिन सरकारी अधिसूचना में 10 फीसद सीमा केवल सिंगल एंटिटी एफआईआई होल्डिंग के ही लिए रखी गई है और एफडीआई के अंतर्गत सिंगल होल्डिंग का उसमें कोई जिक्र नहीं किया गया है। इसमें केवल और केवल एफआईआई के बारे में ही बताया गया है।
आरबीआई इसे भी एक तर्क के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। एफआईआई को आम तौर पर पोर्टफोलियो निवेश भी कहा जाता है और उसे द्वितीयक बाजार से शेयर चुनकर किया जाता है। आरबीआई एफडीआई के तहत सिंगल एंटिटी होल्डिंग में और ढील देने का विरोध कर रहा है। उसका मानना है कि इससे परस्पर हितों का टकराव हो सकता है।
इस मामले से जुड़े सूत्रों का यह भी कहना है कि आरबीआई अगर इस बात के लिए राजी हो जाता है, तो भी वह कुछ शर्तें लागू करने के पक्ष में है, ताकि ऋण संबंधी संवेदनशील सूचना के व्यावसायिक इस्तेमाल में हितों के टकराव से बचा जा सके।
सूत्रों के अनुसार इसके लिए एक विकल्प बैंकों, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और ऋण कंपनियों अथवा ऐसी किसी भी कंपनी, जो ऋण संबंधी संवेदनशील सामग्री का व्यावसायिक इस्तेमाल करती है, में सिंगल एंटिटी होल्डिंग बढ़ाकर 49 फीसद नहीं की जाए। अभी इस मसले पर बातचीत चल रही है और अधिसूचना जारी करने से पहले शर्तों पर अंतिम मुहर लगाई जानी है।
इस समय लगभग 13 विदेशी निकायों ने सरकार और आरबीआई के पास आवेदन कर सीआईसी में निवेश करने के लिए हरी झंडी मांगी है, लेकिन विदेशी प्रत्यक्ष निवेश संबंधी नियमों के स्पष्ट नहीं होने के कारण अभी सभी विदेशी कंपनियों की अर्जियां लंबित हैं।
आरबीआई का कहना है कि चूंकि सीआईसी संवेदनशील सामग्री और सूचना का कारोबार करती हैं, इसलिए उनकी पड़ताल वित्तीय सेवाओं से जुड़ी संस्थाओं मसलन स्टॉक और कमोडिटी एक्सचेंजों से होनी जरूरी होती है। इतना ही नहीं, आरबीआई के ही नियमों के मुताबिक 5 या 10 फीसद से ज्यादा सिंगल एंटिटी होल्डिंग देने पर प्रबंधन संबंधी नियंत्रण पर भी असर पड़ सकता है।
इस मामले में वित्त मंत्रालय और योजना आयोग की भूमिका भी दिलचस्प है। मंत्रालय भी एफडीआई के तहत सिंगल एंटिटी होल्डिंग में आरबीआई के ही विचारों को सही करार देता है। इससे भी दिलचस्प यह है कि योजना आयोग का इस मामले में बिल्कुल अलग विचार है। आयोग सीआईसी में सिंगल एंटिटी होल्डिंग के विषय में दोनों से ही इतर विचार रखता है।