Inflation का लगातार उच्च स्तर पर बने रहना भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए नीतिगत चिंता का एक महत्वपूर्ण विषय बना हुआ है। इस साल मानसून के सामान्य रहने और वैश्विक आपूर्ति की समस्याओं के दूर रहने की उम्मीद के बीच मुद्रास्फीति में कमी आने का अनुमान है।
RBI की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले अगले वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाएगी और इसका स्तर 5.2 फीसदी तक रहने की उम्मीद है।
चालू वित्त वर्ष में इसके 6.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। RBI ने ‘मौद्रिक नीति रिपोर्ट सितंबर 2022’ में कहा, ‘सामान्य मानसून आपूर्ति श्रृंखलाओं में बने व्यवधानों के लगातार दूर होने और कोई अन्य बाहरी या नीतिगत झटका नहीं लगने की स्थिति में वित्त वर्ष 2023-24 में मुद्रास्फीति के औसतन 5.2 फीसदी रहने का अनुमान है।’
जनवरी 2022 से मुद्रास्फीति का स्तर आरबीआई की संतोषजनक ऊपरी सीमा (छह प्रतिशत) से भी अधिक बना हुआ है।अप्रैल में तो मुद्रास्फीति 7.8 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी हालांकि बाद में इसमें कमी आनी शुरू हुई।
महंगाई को काबू में करने के लिए शुक्रवार को आरबीआई ने नीतिगत दर रेपो 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.9 प्रतिशत कर दी। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान है।