बैंकों द्वारा ज्यादा कर्ज दिए जाने व कर्ज की लागत कम होने के कारण दिसंबर 2023 में समाप्त वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में शुद्ध मुनाफा पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 16.7 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है।
हालांकि ब्लूमबर्ग के विश्लेषण के मुताबिक सितंबर 2023 में समाप्त वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही की तुलना में शुद्ध मुनाफा 2.4 प्रतिशत कम रह सकता है। सरकारी के साथ निजी बैकों का शुद्ध मुनाफा पिछली तिमाही की तुलना में घट सकता है।
केयर रेटिंग्स के डायरेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि बैंकों को ज्यादा ऋण उठान का लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘इसकी वजह से पिछले साल की तुलना में वृद्धि दर स्थिर है, हालांकि ब्याज से शुद्ध लाभ पर दबाव है। मुनाफे पर दबाव का असर पिछली तिमाही से तुलना करने पर नजर आ रहा है।’
कर्जदाताओं की कमाई का मुख्य स्रोत ब्याज से शुद्ध आमदनी (एनआईआई) वित्त वर्ष 24 की तीसरी तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 11.2 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है।
हालांकि पिछली तिमाही की तुलना में वृद्धि महज 2.3 प्रतिशत रह सकती है जिससे जमा की बढ़ती लागत और ब्याज से शुद्ध मार्जिन (एनआईएम) पर दबाव नजर आता है। बैंकरों का कहना है कि कुल जमा में कम लागत वाले धन चालू खाते व बचत खाते (कासा) में जमा में कमी आई है क्योंकि ग्राहकों ने तीसरी तिमाही में अपना धन कासा से सावधि जमा में डाला है।
ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने कहा, ‘कासा अनुपात और कम हो सकता है क्योंकि बैंकों में ज्यादा दर वाली सावधि जमा जारी है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि एनआईएम में कमी आएगी।’
दिसंबर के मध्य तक बैंकिंग व्यवस्था में ऋण की वृद्धि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 20.2 प्रतिशत रही है, जो एक साल पहले के 17.4 प्रतिशत से ज्यादा है।
बैंकों में जमा में भी गति आई है और भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर 2023 के मध्य तक इसमें 14 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है, जो एक साल पहले के 9.4 प्रतिशत से ज्यादा है।
बैंकरों का कहना है कि जमा में सुधार के बावजूद जमा और ऋण की वृद्धि में अंतर उल्लेखनीय बना हुआ है। बैंकों ने सावधि जमा पर ब्याज बढ़ाया है, जिससे जमा आकर्षित किया जा सके और उसे बनाए रखा जा सके।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक घरेलू सावधि जमा पर भारित औसत दर बढ़कर नवंबर 2023 में 6.79 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले 5.62 प्रतिशत थी। बकाया ऋण पर भारित औसत उधारी दर नवंबर 2023 में बढ़कर 9.79 प्रतिशत हो गई, जो एक साल पहले 9.42 प्रतिशत थी।