भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा सरकार समर्थित नेटवर्क, ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) में हिस्सेदारी लेने की योजना में देरी हो सकती है। इस मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हितों में टकराव की आशंका को लेकर चिंता जताई है।
ओएनडीसी नेटवर्क पर एनपीसीआई ने भुगतान और समाधान ऑर्किटेक्चर विकसित करने में रुचि दिखाई है। सरकार के इस स्टार्टअप में एनपीसीआई 10 प्रतिशत के करीब हिस्सेदारी लेने को इच्छुक है।
बैंकिंग नियामक ने इस मसले पर अध्ययन के लिए और वक्त मांगा है क्योंकि यह हित में टकराव का मामला हो सकता है। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारियों में से एक ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘एनपीसीआई को लेकर नियामकीय पेच है। वह ओएनडीसी के लिए भुगतान व समाधान व्यवस्था विकसित करना चाहता है, वहीं रिजर्व बैंक को लगता है कि अगर वह ओएनडीसी में हिस्सेदारी लेता है तो वह निरपेक्ष पक्ष नहीं रह जाएगा। वह दिलचस्पी लेने वाला पक्ष बन सकता है।’
अधिकारी ने कहा, ‘रिजर्व बैंक यह समझना चाहता है कि एनपीसीआई किस तरह से यहां स्वतंत्र पक्ष होगा। यही वजह है कि बैंकिंग नियामक ने अब तक एनपीसीआई को हरी झंडी नहीं दी है।’एनपीसीआई भारत में इलेक्ट्रॉनिक रिटेल पेमेंट्स इन्फ्रास्ट्रक्चर चलाता है और कार्ड भुगतान योजना रुपे, तत्काल भुगतान व्यवस्था यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई), नैशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (एनईटीसी), इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) के साथ अन्य उत्पादों की पेशकश करता है।
इसका संचालन नियामक के अधीन होता है। कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) दिलीप असबे भी ओएनडीसी के सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में इससे जुड़े हैं।
इस सिलसिले में बिज़नेस स्टैंडर्ड की ओर से भेजे गए ई-मेल का आरबीआई और एनपीसीआई ने कोई जवाब नहीं दिया। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) की पहल के तहत ओएनडीसी का मकसद डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर वस्तुओं और सेवाओं के आदान प्रदान संबंधी सभी पहलुओं के लिए खुले नेटवर्क को बढ़ावा देना है। यह देश में ई-कॉमर्स के विस्तार को सक्षम बनाने का काम करता है।
इसकी स्थापना दिसंबर 2021 में निजी क्षेत्र के नेतृत्व में बनी गैर लाभकारी कंपनी के रूप में की गई थी, जिससे डिजिटल कॉमर्स में इंटरऑपरेबिलिटी को सक्षम करने की व्यवस्था को लागू करने का प्रबंधन हो सके। ओएनडीसी के पीछे व्यापक रूप से विचार यह था कि छोटे, स्थानीय विक्रेताओं को डिजिटलीकरण से जोड़ा जाए, जो पहले कभी किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से नहीं जुड़े थे।
केंद्र ने इस योजना के शुरुआती खर्च के लिए 10 करोड़ रुपये रखे हैं। सार्वजनिक व निजी क्षेत्र के बैंकों जैसे भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नैशनल बैंक, बैंक आफ बड़ौदा, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक के साथ अब तक 20 कंपनियों ने पहले ही इस कंपनी में निवेश कर दिया है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कंपनी में 250 करोड़ रुपये का निवेश पहले ही हो चुका है।
ओएनडीसी में 3 अक्टूबर तक 6 डायरेक्टर थे, जिनमें क्वालिटी काउंसिल आफ इंडिया के चेयरमैन आदिल जैनुलभाई, प्रोटीन ई-जीओवी टेक्नोलॉजिज के एमडी और सीईओ सुरेश सेठी, डिजिटल इंडिया फाउंडेशन के सह संस्थापक और प्रमुख अरविंद गुप्ता, ओएनडीसी के सीईओ थंपी कोशे, हिंदुस्तान यूनिलीवर के मुख्य वित्त अधिकारी ऋतेश तिवारी और डीपीआईआईटी के अतिरिक्त सचिव अनिल अग्रवाल शामिल हैं। बेंगलूरु के चुनिंदा ग्राहकों के लिए 30 सितंबर को ओएनडीसी नेटवर्क लाइव हुआ था। इसके बाद ग्राहकों पर बीटा टेस्टिंग हो जाने पर पूरे देश में इसे लागू किया जाएगा और इसका विस्तार अन्य शहरों में किया जाएगा।
