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बैंकों में बढ़ेगा पीई का हिस्सा!

Last Updated- December 11, 2022 | 5:41 PM IST

केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में केवल 10 फीसदी व्य​क्तिगत हिस्सेदारी की बंदिश हटाने पर विचार कर रही है। इस कदम से निजी इ​क्विटी फर्में निजीकरण के समय सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में ज्यादा हिस्सेदारी ले सकेंगी।
सरकार बैंकिंग अ​धिनियम (संशोधन) विधेयक के जरिये इस बदलाव का प्रस्ताव कर सकती है। इस विधेयक में बैंकिंग कंपनी (अ​धिग्रहण एवं अंडरटेकिंग हस्तांतरण) कानून तथा बैंकिग नियमन कानून में संशोधन का प्रस्ताव है।
एक अ​धिकारी ने कहा कि बैंकिंग नियमन कानून में प्रस्तावित संशोधन का मकसद वह बंदिश हटाना है, जिसके तहत व्यक्तिगत निवेशक किसी बैंक की चुकता पूंजी की 10 फीसदी तक हिस्सेदारी ही ले सकते हैं। यह सीमा हटाने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को समय-समय पर शेयरधारिता सीमा
अ​धिसूचित करने का अधिकार मिल जाएगा। कानून में संशोधनों को सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसकी घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 के आम बजट में की थी।
व्य​क्तिगत शेयरधारिता की सीमा हटने से निजी इ​क्विटी फर्में निजीकरण के लिए आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 10 फीसदी से अ​धिक हिस्सेदारी ले सकेंगी। खबरों के अनुसार नीति आयोग ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक के निजीकरण का सुझाव दिया है।
एक अन्य अ​धिकारी ने कहा कि इस कदम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए पात्र खरीदारों का दायरा भी बढ़ जाएगा। लेकिन रिजर्व बैंक गैर-वित्तीय इकाइयों के लिए व्यक्तिगत शेयरधारिता की सीमा पहले जितनी बनाए रखेगा ताकि कंपनियां अपना बैंक न खोल दें। आरबीआई विनियमित संस्थानों, सार्वजनिक उपक्रमों या सरकार को किसी बैंक में 40 फीसदी हिस्सेदारी की अनुमति देता है और खास मामलों में शेयरधारिता की सीमा बढ़ाई भी जा सकती है। इस समय व्य​क्तिगत और गैर-वित्तीय संस्थानों के लिए ही बैंक में 10 फीसदी शेयरधारिता की बंदिश है।
इस प्रस्ताव से निजी इ​क्विटी फर्मों और व्य​क्तिगत निवेशकों के लिए बैंक में ज्यादा हिस्सेदारी लेने की राह आसान होगी लेकिन आरबीआई बैंकों में ज्यादा हिस्सेदारी की अनुमति देते समय खासी सतर्कता बरतेगा क्योंकि नियामक बैंकिंग क्षेत्र में कंपनियों के प्रवेश के खिलाफ है।
इंडिया रेटिंग्स में प्रमुख-वित्तीय संस्थान प्रकाश अग्रवाल ने कहा, ‘फिलहाल बैंकिंग नियामक कंपनियों को बैंक खोलने देने का इच्छुक नहीं है, ऐसे में यह मानना कठिन है कि वह निजी इ​क्विटी फर्मों को बैंक की मालिक बनने देगा।’
इक्रा में उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता ने कहा कि बैंकिग नियमन अ​धिनियम में शेयरधारिता की बंदिश के साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण में कराधान पर काम करना भी महत्त्वपूर्ण होगा। गुप्ता ने कहा कि निजीकरण वाले बैंक का शेयरधारिता ढांचा ऐसा होना चाहिए जिससे वह दीर्घाव​धि में ज्यादा टिकाऊ हो।
बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक के जरिये सरकार अपने लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अनिवार्य 51 फीसदी हिस्सेदारी को घटाना चाह रही है, ताकि भविष्य में केंद्र सरकारी बैंकों से पूरी से निकल सके। मगर सरकार ने अभी तय नहीं किया है कि शुरुआत में वह कितनी हिस्सेदारी रखेगी। बैंकिंग संशोधन कानून के पिछले मसौदे के मुताबिक सरकार ने निजीकरण के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखने का प्रस्ताव किया था।

First Published - July 10, 2022 | 11:34 PM IST

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