सत्यम फर्जीवाड़े के बाद राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) भी हरकत में आ गया है।
बैंक ने हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को सत्यम या फिर इसकी सहायक कंपनी मायटास-इन्न्फ्रा में उनके किसी भी तरह के निवेश के बारे में जानकारी तलब करते हुए समूचा ब्योरा देने को कहा है। उल्लेखनीय है कि एनएचबी हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों के कामकाज पर नजर रखता है और पूरी तरह भारतीय रिजर्व बैंक के अधीन है।
इस बाबत एनएचबी के एक अधिकारी ने बताया कि एनएचबी ने पत्र लिखकर सभी हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों से कहा है कि अगर इन कंपनियों का सत्यम या फिर इसकी किसी भी सहायक कंपनी से कारोबार है तो फिर वे इस बारे में बैंक को ब्योरा उपलब्ध कराएं।
एनएचबी के एक सूत्र ने कहा कि हमने पिछले सप्ताह एचएफसी से इस बारे में ब्योरा मांगा है। यह कदम उठाने का उद्देश्य यह जानना है कि इस तरह की घटनाओं से एचएफसी कितनी सुरक्षित हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले आरबीआई ने भी ऐसे बैंकों से आंकड़े उपलब्ध कराने को कहा था जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में सत्यम या इसकी सहायक कंपनियों से किसी तरह का कारोबार रहा है।
जब इस बाबत एचडीएफसी के प्रबंध निदेशक केटकी मिस्त्री से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि एनएचबी ने एचएफसी से सत्यम या इसकी सहायक कंपनियों में किसी भी तरह का निवेश होने की स्थिति में इसका ब्योरा मांगा है।
उन्होंने कहा कि एनएचबी ने इन कंपनियों को पत्र लिखकर सत्यम के साथ किसी भी तरह के कारोबार का ब्योरा देने को कहा है। एलआईसी हाउसिंग फाइनैंस के मुख्य वित्त अधिकारी और प्रबंध निदेशक आर आर नायर ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि एनएचबी ने उनको पत्र लिखकर ब्योरा मांगा है।
नायर ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हालांकि एनएचबी ने ब्योरा जरूर मांगा है लेकिन हमारा सत्यम या फि र उसकी सहायक कंपनियों के साथ किसी तरह का कारोबार नहीं है। हमने इस बारे में पहले ही एनएचबी को बता दिया।
पिछले महीने एनएचबी ने एचएफसी पर अपनी निगरानी तेज करते हुए मासिक रिपोर्ट की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। एनएचबी ने एचएफसी की विभिन्न क्षेत्रों में उनके कारोबार पर नजर रखने के लिए कुछ नए नियम बनाए थे।