कुछ समय पहले तक बैंकों को क्रेडिट संकट से भले ही जूझना पड़ा है लेकिन फिलहाल के्रडिट बाजार में नकदी की स्थिति माकूल है। कॉल दरें भी घटकर 4 फीसदी केस्तर से नीचे चली गई है।
गौरतलब है लीमन ब्रदर्स के दिवालिया हो जाने के बाद तत्काल बाद कॉल दरें 20 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई थी। बैंकों द्वारा कर्ज देने में आनाकानी करने के बाद कर्ज की मांग में आई कमी के बाद आरबीआई द्वारा विशेष वित्तीय सहायता देने के बाद मांग में काफी कमी देखी गई।
उल्लेखनीय है कि विशेष सहायता राशि के तहत बैंकों को म्युचुअल, गैर वित्तीय कंपनियों और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों को कर्ज मुहैया कराने केलिए 640 करोड रुपये की राशि की सहायता प्रदान की गई थी।
आरबीआई ने यह कदम उस समय बाद उठाया जब अक्टूबर में म्युचुअल फंड और एनबीएफसी को फंड जुटाने में काफी परेशानी महसूस हो रही थी।
इसके अलावा लघु अवधि के कर्ज, जो माइबर बेंचमार्क और मुंबई अंतर बैंकिंग दरों में 400 आधार अंकों या फिर में ऊपर चले गए थे इसमें 200-250 आधार अंकों की कमी आई है।
इस बाबत आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी बी प्रसन्ना ने कहा कि सरकार और आरबीआई द्वारा सहायता राशि मुहैया कराने के बाद प्रणाली में फंडों का प्रवाह बहुत तेजी से हुआ है।
प्रसन्ना ने यह भी कहा कि सीआरआर में की गई कई बार कटौती और मार्केट स्टैबलाइजेशन स्कीम (एमएसएस) के तहत बॉन्डों की पुनर्खरीद से भी फंडों का प्रवाह काफी बड़े स्तर पर बढा है।
भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के मुख्य कार्यकारी के रामकृष्णा ने कहा कि लीमन ब्रदर्स के दिवालिया हो जाने के बाद सितंबर में भारत में भी कई दिग्गजों के इस आर्थिक संकट से प्रभावित होने का अंदेशा जताया जा रहा था, हालांकि अभी तक इस तरह की कोई बात सामने निकलकर नहीं आई।
प्रसन्ना ने कहा कि वैश्विक मंदी की चपेट में निर्यात पर काफी बुरा असर पडा है और साथ ही वैश्किव बाजार की स्थिति भी ठीक नहीं है लेकिन सरकार और आरबीआई ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तेजी से हरकत में आए।