वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सलाह दी है कि वे विदेशी कंपनियों में निवेश करने से पहले वे जटिल वित्तीय उत्पादों और उद्मम को पूरी तरह से परख लें।
वित्त मंत्रालय का यह निर्देश अमेरिका की प्रमुख वित्तीय संस्थानों के खस्ता हालत के बाद आया है जिससे कि भारतीय बैंकों को मार्के-टू-मार्केट घाटा होने की संभावना है।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया है कि बैंकों को विदशी कंपनियों में निवेश को लेकर बातचीत करते समय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों का कडाई से पालन करने की सलाह दी गई है।
अधिकारी ने आगे बताया कि बैंकों को सलाह दी गई है कि वे विदेशी कंपनियों की रेटिंग एजेंसी द्वारा की गई रेटिंग पर विश्वास न करें और कोई भी कदम उठाने से पहले अपने स्तर पर उन कंपनियों के बारे में पता कर ले।
अधिकारी ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक और भारतीय स्टेट बैंक सहित कई प्रमुख बैंकों का कारोबार विदशी वित्तीय कंपनियों से होता है जिसमें कि लीमन ब्रदर्स, फेनी मेई और फ्रेडी मैक शामिल हैं।
हाल के कुछ समयों में विशेषज्ञों ने रेटिंग एजेंसी को कंपनियों की वास्तविक स्थिति के बारे में न बताने को लिए जिम्मेदार ठहराया। एक सूत्र ने बताया कि वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों को सिर्फ सामान्य डेरिवेटिव में निवेश करन की सलाह दी है और साथ ही काउंटर पार्टी के साथ जुड़े खतरों को भी समझ लेने की सलाह दी है।
एक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक केएक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम अपने आंतरिक जोखिम प्रबंधन प्रणाली केतहत विदेशी कंपनियों के साथ होनेवाले कारोबार को समायोजित कर रहें हैं।
अधिकारी ने बताया कि वैश्विक बाजार में कारोबार की खस्ता हालत को देखते हुए सरकार का चिंतित होना स्वभाविक ही है क्योंकि बैंक कारोबार के लिए सार्वजनिक पैसों का ही इस्तेमाल करती है।
गौरतलब है कि आरबीआई स्थिति पर नजर रखे हुए है और आवश्यकता पड़ने पर विदेशी कंपनियों के साथ कारोबार करने के दिशा-निर्देशों में और अधिक कडापन ला सकती है।