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घट सकता है बैंकों का मार्जिन

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे के मुताबिक, ईबीएलआर से जुड़े ऋण कुल ऋण बही का करीब 40 फीसदी हैं, जिस पर दरों में कटौती का तुरंत असर दिखेगा।

Last Updated- February 09, 2025 | 10:17 PM IST
Bank Treasury Income
प्रतीकात्मक तस्वीर

नीतिगत दरों में 25 आधार अंक की कटौती से बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) में और कटौती आने के आसार हैं, जो फिलहाल नकदी की किल्लत के कारण जमा की बढ़ी लागत से दबाव में है।

बीते हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों में कटौती की थी। असुरक्षित खुदरा क्षेत्र में पुनर्गणना के कारण भी मार्जिन पर दबाव है, जो आमतौर पर बैंकों की मार्जिन बढ़ाता है। निजी क्षेत्र के एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, ‘दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद पहले से ही थी। यह एनआईएम के लिए थोड़ा नकारात्मक रहेगा क्योंकि जमा दरों में कटौती नहीं होगी मगर ऋण दरें तुरंत कम हो जाएंगी। ऐसा कहने के बाद नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती सहित नकदी के कुछ उपाय करने से मदद मिलेगी।’

नीतिगत रीपो दरों में कटौती के कारण बाहरी बेंचमार्क से जुड़े ऋण की कटौती को दर्शाने के लिए पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा, जबकि जमा दरों को नीतिगत दरों की कटौती के अनुरूप बनाने में वक्त लगेगा। सिर्फ नई जमा राशि ही संशोधित दरों पर ली जाएगी, लेकिन जमा बाजार की विकट स्थिति को देखते हुए यह संभावना नहीं है कि बैंक अपनी जमा दरों को इतनी जल्दी कम करेंगे।

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे के मुताबिक, ईबीएलआर से जुड़े ऋण कुल ऋण बही का करीब 40 फीसदी हैं, जिस पर दरों में कटौती का तुरंत असर दिखेगा। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति को जमा दरों तक पहुंचाने में करीब दो तिमाहियां लग जाती हैं।

 

First Published - February 9, 2025 | 10:17 PM IST

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