एक तरफ जहां जीवन बीमा क्षेत्र में तेजी का दौर चल रहा है सार्र्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की आय में कमी आई है।
इस वित्तीय वर्ष में अप्रैल से जनवरी के बीच जीवन बीमा का बाजार 18 फीसदी की दर से बढ़ा है। इसको निजी क्षेत्र की कंपनियों ने जमकर भुनाया है तो इस दौड़ में एलआईसी थोड़ा पीछे रह गई है। इस दौरान एलआईसी की नई पॉलिसियों के जरिये प्रीमियम आय में कमी आई है।
वैसे जनवरी 2008 में पहली प्र्रीमियम आय में 110 फीसदी के इजाफे की वजह से एलआईसी अपनी स्थिति को सुधारने में सफल रही है। लेकिन इस दौरान कंपनी ने जो ग्राहक गंवाएं हैं, उनको वापस पाने में कंपनी सफल नहीं रही है।
वहीं दूसरी ओर जनवरी में निजी बीमा कंपनियों की पहली प्रीमियम आय में लगभग दोगुने का उछाल आया है। जनवरी 2007 में यह जहां 1,734.66 करोड़ रुपये थी वहीं जनवरी 2008 में यह बढ़कर 3,522 करोड़ रुपये हो गई।
चालू वित्त वर्ष में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी में भी कमी आई है। 2007 में अप्रैल से जनवरी तक की अवधि में एलआईसी की बाजार में हिस्सेदारी तकरीबन 74 फीसदी थी।
चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में इसकी बाजार में हिस्सेदारी घटकर 64 फीसदी रह गई।
आखिरकार इस गिरावट की वजह क्या रही? दरअसल कंपनी पहले की तरह समस्याओं का निपटारा करने में सफल नहीं रही।
इसका नतीजा यह निकला कि इस साल अप्रैल से जनवरी के बीच इसकी प्रीमियम आय में 9.4 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह 6,582 करोड़ रुपये तक ही पहुंच पाई।
वैसे एलआईसी व्यक्तिगत व्यापार बाजार में नई पॉलिसियों की वजह से अपना आधार बनाए रखने में सफल रही है। चालू वित्त वर्ष में जनवरी 2008 तक 10 महीनों में एलआईसी ने नई पॉलिसियों के जरिये 34,042 करोड़ रुपये की कमाई की।
जबकि अप्रैल से जनवरी 2007 तक इसकी कमाई 33,851 करोड़ रुपये की हुई थी। दूसरी ओर 16 निजी बीमा कंपनियों की पहली प्रीमियम आय में 82 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह बढ़कर 22,504 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
व्यक्तिगत व्यापार में इन कंपनियों की आय 88 फीसदी बढ़कर 20641.41 करोड़ रुपये हो गई। समूह व्यापार क्षेत्र में भी निजी कंपनियों ने 34.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज की और यह बढ़कर 1862 करोड़ रुपये हो गई।
एलआईसी प्रबंधन को फरवरी-मार्च के महीने मे अपना खोया आधार वापस पाने की उम्मीद है। इन महीनों में जीवन बीमा का कारोबार पूरी तेजी पर होता है।
एलआईसी के विपणन के प्रभारी कार्यकारी निदेशक ए के साहू कहते हैं,’यह एक गतिशील बाजार है और इसमें काफी संभावनाएं हैं।
जनवरी और फरवरी में हमने व्यक्तिगत पॉलिसियों में काफी अच्छा किया है (वैसे अभी आंकड़ें जारी करना बाकी है)पिछली तिमाही में हमने 11000 करोड़ रुपये का कारोबार किया था।
हमें इस साल की आखिरी तिमाही में भी अच्छा कारोबार करने की उम्मीद है। ‘
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी समूह कारोबार में बड़ी एन्युईटी और ग्रैच्युटी में घाटे की बात स्वीकारते हैं। उनका यह भी कहना है कि एलआईसी अब व्यक्तिगत व्यापार में रेग्युलर प्रीमियम उत्पादों पर अधिक ध्यान देगी।
एक वैश्विक परामर्शदात्री कंपनी के एक वरिष्ठ कार्यकारी कहते हैं,’लोग अब निजी कंपनियों पर भी भरोसा करने लगे हैं। इनमें से कई कंपनियां तो बेहतरीन सुविधाएं मुहैया करा रही हैं, इसलिए लोग इन कंपनियों को ओर मुखातिब हो रहे हैं।’
मॉनिटर इंडिया के प्रबंध सहयोगी निखिल ओझा कहते हैं कि इस कहानी के दो पहलू हैं- एक तो यह कि पिछले साल इस क्षेत्र में हुआ विकास और निजी कंपनियों की तुलना में एलआईसी का कारोबार।
एलआईसी का अब अपने ग्राहकों को और बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने पर जोर है जो इसकी वृद्धि का बढ़ाने में सहायक होंगी।
टेबल –
प्रीमियम वृद्धि
बीमा कंपनी – जनवरी वृद्धि अप्रैल-जनवरी वृद्धि
2007 2008 प्रतिशत में 2007-2008 प्रतिशत में
एलआईसी 2,866.92 6,028.46 110.2 41120.71 40624.04 -1.22
ृ
आईसीआईसीआई 564.71 976.50 72.9 3,714.49 5,792.05 64.8
प्रुडेंशियल
बजाज आलियांज 365.36 682.14 86.7 2549.04 4462.30 75.0
एसबीआई लाइफ 199,11 519.29 160.8 1389.83 2874.46 106.8
निजी कंपनियां 1734.66 3522.96 103.0 12359.68 22503.87 82.0