देश के शीर्ष कारोबारी समूह टाटा, बिड़ला, पीरामल और बजाज समूह बैंकिंग कारोबार में उतारने के लिए बैंकिंग लाइसेंस ले सकते हैं। उद्योग जगत के मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को आसानी से बैंक में बदलने के नियम से ऐसा संभव हो सकेगा और समग्र नियमन भी समूह की शेष कंपनियों पर लागू नहीं होगा। टाटा मसूह के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि समूह की बैंकिंग लाइसेंस में दिलचस्पी है लेकिन अभी इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि ये सिफारिशें हैं और इस दिशा में कार्य अभी शुरुआती चरण में है। टाटा समूह के एक अधिकारी ने कहा, ‘जब वित्तीय क्षेत्र के लिए नियम तैयार हो जाएंगे तब हम इस बारे में विचार करेंगे।’ टाटा के जानकार एक शख्स ने बताया, ‘2012 में जब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन मंगाए थे तब टाटा सहित कई कंपनियों ने समूह की सभी कंपनियों के दस्तावेज ट्रकों में भरकर भेजे थे क्योंकि तमाम तरह की जानकारियां मांगी गई थीं।’ हालांकि नवंबर 2013 में टाटा ने आवेदन वापस ले लिया था। आरबीआई ने किसी भी औद्योगिक घराने को बैंकिंग लाइसेंस नहीं दिया।
31 मार्च, 2020 को टाटा कैपिटल फाइनैंशियल सर्विसेज की हैसियत 6,213 करोड़ रुपये की थी। टाटा कैपिटल वित्तीय सेवा कारोबार की होल्डिंग कंपनी है और थोक एवं खुदरा वित्त खंड में मौजूदगी के साथ इसका उत्पाद पोर्टफोलियो काफी व्यापक है। संचयी स्तर पर टाटा कैपिटल की नेटवर्थ 83,280 करोड़ रुपये है और टाटा कैपिटल फाइनैंशियल की कुल संपत्तियां 46,807 करोड़ रुपये की है।
टाटा कैपिटल में टाटा संस अब तक करीब 6,300 करोड़ रुपये लगा चुकी है, जिनमें से 1,000 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2020 में और 2,500 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2019 में निवेश किया गया था। एक विश्लेषक ने कहा कि इक्विटी निवेश वित्तीय कारोबार में समूह की दिलचस्पी का संकेत है। मुख्य कार्याधिकारियों के मुताबिक आरबीआई के परामर्श पत्र में कहा गया है कि समिति में शामिल एक सदस्य को छोड़कर सभी विशेषज्ञों की राय थी कि बड़े कॉर्पोरेट/औद्योगिक घरानों को बैंक खोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और यह मसला सरकार पर छोड़ दिया गया कि वह बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन के जरिये इस बारे में निर्णय ले।
आदित्य बिड़ला समूह के एक अधिकारी ने कहा कि प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट ब्रांड वैल्यू और बेहतर पृष्ठभूमि वाली एनबीएफसी देश के नए सेगमेंट और बैंकिंग सेवाओं से महरूम क्षेत्रों में बैंकिंग का लाभ पहुंचाने में अहम भूमिका निभा सकती है। आदित्य बिड़ला कैपिटल की कुल परिसंपत्ति मार्च 2020 में 70,015 करोड़ रुपये थी, जो इसे बैंकिंग कारोबार के लिए मजबूत दावेदार बनाती है। पीरामल समूह के पास एनबीएफसी है जिसकी लोन बुक इस साल मार्च में 50,963 करोड़ रुपये थी। एक विश्लेषक ने कहा कि पीरामल समूह के पास इस क्षेत्र का अच्छा अनुभव है लेकिन रियल एस्टेट क्षेत्र में ज्यादा निवेश उसके लिए बड़ी चिंता का सबब है। अगर पीरामल डीएचएफएल के रिटेल खाते का अधिग्रहण कर लेता है तो उसके पास नकदी का प्रवाह बढ़ेगा। बजाज फिनसर्व के चैयरमैन सह प्रबंध निदेशक संजीव बजाज ने कहा कि आरबीआई की आंतरिक समिति की बैंक स्वामित्व पर रिपोर्ट प्रगतिशील, व्यवहारिक और सभी शेयरधारकों के हित में है।
