भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की उदार रेमिटेंस योजना (एलआरएस) के तहत विदेश जाने वाला धन पिछले माह की तुलना में 34.57 प्रतिशत बढ़कर अगस्त में 2.67 अरब रुपये हो गया है। रिजर्व बैंक के अक्टूबर बुलेटिन के हाल के आंकड़ों से यह सामने आया है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह करीब 36 प्रतिशत ज्यादा है, क्योंकि भारतीयों ने अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर ज्यादा खर्च किया है।
अगस्त में भारतीयों द्वारा विदेश भेजे गए कुल 2.67 अरब डॉलर में से 1.5 अरब डॉलर अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर खर्च किया है। अंतराष्ट्रीय यात्राओं पर खर्च पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा है। पिछले साल अंतरराष्ट्रीय यात्रा कोविड-19 से जुड़े प्रतिबंधों के कारण बाधित थी, लेकिन साल के आखिरी महीनों में इसमें धीरे धीरे गति आई। अंतरराष्ट्रीय यात्रा के बाद भारतीयों ने विदेश में शिक्षा और उसके बाद नजदीकी रिश्तेदारों के खर्च के लिए धन भेजने और उपहार भेजने पर खर्च किया है।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में भारतीयों ने विदेश में शिक्षा के लिए 4,675.2 लाख डॉलर भेजे, जबकि नजदीकी रिश्तेदारों को 3,307.0 लाख डॉलर भेजे और उपहारों के लिए 2,213.1 लाख डॉलर भेजे।
वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में एलआरएस के तहत भारतीयों का व्यय 64.75 प्रतिशत बढ़कर 6.04 अरब डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 3.67 अरब डॉलर था।
वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में धन की आवाजाही वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही की तुलना में ज्यादा थी, जब एलआरएस के तहत विदेश में 5.8 अरब डॉलर भेजा गया। वित्त वर्ष 22 में एलआरएस के तहत विदेश भेजा गया धन 19.61 अरब डॉलर था, जो सर्वोच्च स्तर है। इसमें विदेश में शिक्षा और लंबी विदेश यात्रा की अहम भूमिका रही।
