इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च ने व्यवस्थागत समर्थन जारी रहने से चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि में समग्र बैंकिंग क्षेत्र के लिए स्थिर परिदृश्य को बनाए रखा है। इस समर्थन ने कोविड-19 महामारी से पैदा हुए तनावों से निपटने में बैंकिंग क्षेत्र की काफी मदद की है। रेटिंग एजेंसी ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अपने ऋण वृद्धि अनुमान को 8.9 फीसदी के स्तर पर अपरिवर्तित रखा है। महामारी की दूसरी लहर कमजोर पडऩे के बाद आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी, ढांचागत परियोजनाओं पर सरकार के बढ़े खर्च और खुदरा कर्जों की मांग दोबारा आने से ऋण वृद्धि मजबूत रहने की उम्मीद है।
इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि वर्ष 2021-22 में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (जीएसएनपीए) 8.6 फीसदी रहेंगी जो पिछले वित्त वर्ष में 7.7 फीसदी रही थीं। इसी तरह तनावग्रस्त परिसंपत्तियां भी 2020-21 के 8.6 फीसदी से बढ़कर 10.3 फीसदी रहने का अनुमान है। एजेंसी ने अपने बयान में कहा कि बैंक पूंजी जुटाकर अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में लगे हुए हैं। इसके अलावा फंसी हुई परिसंपत्तियों के लिए वित्तीय प्रावधान करने पर भी उनका जोर रहा है। एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में वित्तीय प्रावधान पर आने वाली लागत 1.5 फीसदी के पिछले अनुमान से बढ़कर 1.9 फीसदी तक जा सकती है।
बैंकिंग क्षेत्र की मुनाफा कमाने की क्षमता भी इस साल बेहतर होने की उम्मीद है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की वित्तीय प्रोफाइल में सुधार आने से ऐसा हो सकता है। कोविड-19 के खुदरा कर्जों पर पड़े असर का उल्लेख करते हुए रेटिंग एजेंसी ने कहा कि महामारी के समय चूक के मामले बढऩे से सुरक्षित माना जाने वाला यह गढ़ भी धराशायी हो गया। खुदरा ऋण में परिसंपत्ति गुणवत्ता का असर निजी बैंकों पर कहीं ज्यादा रहा है।
बैंकों ने होम लोन समेत खुदरा परिसंपत्तियों में कर्जों को पुनर्गठित किया है। खुदरा क्षेत्र में कुल तनावग्रस्त परिसंपत्तियों की संख्या बढ़कर 2021-22 के आखिर में 5.8 फीसदी हो जाने का अनुमान है जो एक साल पहले 2.9 फीसदी रहा था।