एचडीएफसी लिमिटेड (एचडीएफसी) और उसकी बैंकिंग सहायक इकाई एचडीएफसी बैंक के विलय को लेकर अटकलें उद्योग या बाजारों के लिए नई नहीं हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की आंतरिक कार्य समिति (आईडब्ल्यूजी) ने सुझाव दिया है कि अच्छी तरह से संचालित बड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंकों में तब्दील किए जाने पर विचार हो सकता है और एचडीएफसी और उसके बैंक के विलय को लेकर चर्चा जोर शोर से चल रही है।
आईडब्ल्यूजी की रिपोर्ट में बैंकों के लिए गैर-परिचालन वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) ढांचे के विचार को भी पुनर्जीवित किया है। 4.6 लाख करोड़ रुपये के परिसंपत्ति आकार वाली एचडीएफसी के लिए, एचडीएफसी बैंक के साथ विलय को लेकर इस समय कई कारण हैं।
एमके ग्लोबल में शोध विश्लेषक जिग्नेश शियाल ने कहा, ‘विलय पर आगे बढऩे के लिए यह निश्चित तौर पर आकर्षक विचार है। आवास वित्त कंपनियों (एचएफसी) को अब आरबीआई के मार्गदर्शन में उसके नियमों का पालन करना है।’ कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के विश्लेषकों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि बैंकों के लिए एनओएफएचसी पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है, ‘हम एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक विलय पर नई चर्चाएं देख सकते हैं।’ एचडीएफसी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी केके मिस्त्री ने हालांकि स्पष्ट किया है कि फिलहाल इस तरह के विलय को लेकर कोई बातचीत नहीं चल रही है।
लेकिन विलय का क्या मतलब है?
पिछले चार वर्षों के दौरान, एचडीएफसी ने अपनी गैर-आवासीय पोर्टफोलियो (बिल्डर ऋण शामिल) की भागीदारी 27 प्रतिशत से घटाकर करीब 18 प्रतिशत की है। शुद्घ रिटेल ऋणों का उसके बहीखाते में 75 प्रतिशत का योगदान है, और किफायती आवास खंड में उसकी पहुंच ने उसकी ऋण बुक को प्राथमिकता वाले क्षेत्र की उधारी जरूरतों को लेकर ज्यादा अनुकूल बना दिया है।
एचडीएफसी बैंक के लिए, रिटेल ऋणों की भागीदारी पिछले दो वर्षों में 55 प्रतिशत से घटकर 44 प्रतिशत से भी नीचे रह गई है।
इसलिए एचडीएफसी के साथ विलय कई मायने में फायदेमंद है। इससे न सिर्फ उसकी रिटेल बुक को मदद मिलेगी बल्कि काफी हद तक असुरक्षित बहीखाते से जुड़ी चिंताएं भी घटेंगी।
यह विलय कोष उगाही से संबंधित जरूरतों को भी पूरा करेगा। बैंक में 21 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी के साथ, हर बार एचडीएफसी बैंक इक्विटी उगाही के लिए आगे आया, एचडीएफसी पर बैंक में अपनी हिस्सेदारी बनाए रखने के लिए पूंजीगत दबाव रहा है। एचडीएफसी (उसकी 2021-22 की अनुमानित मुख्य आवास संबंधित बहीखाते का 1 गुना) और एचडीएफसी बैंक (3 गुना) के बीच बढ़ते मूल्यांकन को देखते हुए, यह विलय अच्छा है।
हालांकि कोषों की लागत एक बड़ी बाधा साबित हो सकती है। 35 प्रतिशत जमा बुक के साथ, भले ही एचडीएफसी की 3-5.5 प्रतिशत के हिसाब से बॉन्ड बाजार तक पहुंच है (एनबीएफसी में सबसे कम), लेकिन कोषों की उसकी मिश्रित लागत उसकी जमाओं की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में करीब 7 प्रतिशत थी।
दूसरी तिमाही में एचडीएफसी बैंक की कोष लागत 4.3 प्रतिशत रहने से दोनों के बीच अंतर बहुत ज्यादा दिख रहा है।
विलय के संबंध में सांविधिक रिजर्व की लागत से विलय वाले बैंक की लाभप्रदाता प्रभावित हो सकती है। जहां इस विलय से व्यावसायिक लाभ मिलने की संभावना है, वहीं लागत अनुकूलन की राह चुनौतीपूर्ण रहेगी। कुल मिलाकर, यह विलय सौदा दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
