दिसंबर की तिमाही में बैंकों का प्रदर्शन अनुमान से भले ही बेहतर रहा हो लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि आने वाली तिमाहियों में कारोबार में कमी आ सकती है।
लेकिन इन अनुमानों के बाद भी एचडीएफसी के प्रबंध निदेशक आदित्य पुरी को उम्मीद है कि आगामी तिमाहियों में कारोबार सामान्य रहेगा ।
नीलाद्रि भट्टाचार्य ने आदित्य पुरी से बैंकिंग जगत की चुनौतियों और इनसे जुड़े विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश:
आने वाले मौद्रिक नीतियों की समीक्षा से आपको क्या उम्मीद है?
मुझे कोई आशा नहीं है कि इन नीतियों में दरों की कटौती के लिहाज से कोई खास उपाय किए जाएंगे। इसकी वजह यह भी है कि अर्थव्यवस्था में अभी पर्याप्त तरलता मौजूद है। महंगाई दर में कमी आ रही है साथ ही जिंसों की कीमतों में भी गिरावट हो रही है।
इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि ईधन की कीमतों में भी गिरावट आ रही है। अगर यही ट्रेंड बरकरार रहा जिसकी बहुत संभावना है तो लंबी अवधि में ब्याज दरों भी कम हो जाएंगे।
आने वाली तिमाहियों में आप कितना ज्यादा कर्ज लोगों को देंगे?
हाल के दिनों में बैंक उद्योगों का विकास 25 फीसदी से भी ज्यादा दरों पर बढ़ोतरी हुई है। हालांकि अर्थव्यवस्था में मंदी का असर है इसीलिए आने वाली तिमाहियों में विकास दर सामान्य ही रहने की संभावना है।
देश में भी मंदी का पूरा असर तो दिखने को मिल ही रहा है। इस साल के लिए जीडीपी विकास दर का लक्ष्य 5 फीसदी रखा गया है और अगले साल के लिए 5.5-7 प्रतिशत रखा गया है जो मौजूदा हालात के लिहाज से बेहतर ही है।
हमलोग अपेक्षाकृत बेहतर ही कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था में विकास की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ेगी इस लिहाज से बैंकिंग सेक्टर में भी वृद्धि सामान्य ही होगी।
लेकिन मंद अर्थव्यवस्था के चक्र में यह सब तो सामान्य हालात ही माने जाते हैं। हालांकि हम दूसरों के मुकाबले बेहतर ही हैं क्योंकि उनको घाटा तो हो ही रहा है। भारतीय बैंकिंग उद्योग की सेहत वैसे अच्छी है।
लेकिन बाजार में कुछ ऐसी भी चर्चा है कि बैंक कुछ सेक्टर मसलन रियल एस्टेट को उधार नहीं दे रहे हैं?
संभव है कि कुछ मामले ऐसे हों लेकिन हम सभी सेक्टर को कर्ज दे रहे हैं। लेकिन हां रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ मुद्दे जरूर हैं।
कुछ एनबीएफसी भी यह शिकायत कर रही हैं कि बैंक उनके लिए कर्ज नहीं दे रही हैं?
जहां तक हमारी बात है हम अपने मौजूदा ग्राहकों को कर्ज दे रहे हैं। एक बात तो सर्वमान्य हैं कि अभी हालात बहुत ही गंभीर है और पूरी वित्तीय प्रणाली नकदी की कमी से जूझ रहा है। हालांकि कुछ ऐसे मामले जरूर होंगे जहां कुछ बैंकों ने जोखिम के खतरों के मद्देनजर ऐसा कहा होगा।
आने वाली तिमाहियों में बैंक बहुत ज्यादा गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए)के बारे में बात कर रहे हैं।
यहां तक की एचडीएफसी बैंक का भी पिछली दो तिमाहियों में एनपीए बढ़ा है। क्या इसकी वजह सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब की परिसंपत्तियां हैं?
जब भी कहीं विलय होता है तो एनपीए कुछ समय के लिए जरूर बढ़ता है। हमारे मामले में यह इस तिमाही में बहुत सामान्य ही रहा। हमने पहले ही यह कहा था कि आने वाली तिमाहियों में यह बढ़ सकता है।
मंदी की इस हालत में अगर पूरे बैंकिंग उद्योग की बात करें तो इसमें कई तरह की चूक जरूर दिख सकती है। लेकिन इतना कु छ होने के बाद भी स्थिति नियंत्रण में रही और जब तक ऐसा है तो फिर चिंता करने की कोई बात नहीं है। आगे जाकर स्थितियां निश्चित तौर पर सुधरेंगी।