बीएस बातचीत
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) चेयरमैन दिनेश खारा यह कहने में नहीं हिचकिचा रहे हैं कि बैंक शायद दरों मे कटौती न करें। अभिजित लेले और अनूप रॉय के साथ बातचीत में खारा ने कहा कि अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है और ऋण के लिए मांग लौट रही है। लेकिन बैंक वैक्सीन निर्माताओं से ऋण मांग को लेकर सतर्क है, क्योंकि यदि केंद्रीय मंजूरी नहीं मिलती है तो बड़े निवेश को झटका लग सकता है। खारा एसबीआई के डिजिटल बैंकिंग ऐप ‘योनो’ को सूचीबद्घ कराने की जल्दबाजी में नहीं हैं, लेकिन आगे चलकर इसकी योजना तैयार की जाएगी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
कोविड से मुकाबले के लिए भारी पूंजी की जरूरत को देखते हुए, क्या आपको ऋण अनुरोध मिले हैं?
हमने टीका निर्माताओं की कार्यशील पूंजी जरूरतों पर चर्चा की थी। उनकी जरूरतें काफी बड़ी हैं, लेकिन अंतर्निहित जोखिम भी है। कई दवा निर्माताओं ने मंजूरियां मिलने की उम्मीद में बड़ी तादाद में टीके तैयार कर लिए हैं। बिल्कुल, इसके लिए बड़ी कार्यशील पूंजी की जरूरत है। जब अस्पताल और हेल्थकेयर क्षेत्र की बात हो तो बैंकों को 250-300 करोड़ रुपये के प्रस्ताव मिले हैं। वहीं फार्मास्युटिकल सेगमेंट के लिए, 1,000 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पहले ही मिल चुके हैं।
क्या अर्थव्यवस्था में मांग वापस लौट रही है?
जबसे अनलॉकिंग प्रक्रिया शुरू हुई है मांग में सुधार आया है। यह इस तरह के आर्थिक परिदृश्य में मुख्य विकास इंजन बनने जा रहा है। कोविड के बाद, निश्चित तौर पर मांग लौटेगी। 7 प्रतिशत से अधिक की मुद्रास्फीति दर अनिवार्य रूप से आपूर्ति संबंधित समस्याओं के लिए जिम्मेदार है। अनलॉकिंग में, कई जगहों पर पूरी आपूर्ति शृंखला बहाल नहीं हो सकती है।
पॉलिसी को लेकर क्या उम्मीद है?
यथास्थिति।
जहां तक बैंकों का सवाल है, हम उधारी और जमा दोनों के संदर्भ में दरों में गिरावट देख रहे हैं?
उधारी और जमा के संदर्भ में दरें वास्तव में नीचे आई हैं।
व्यवसाय की राह कैसी है?
जहां तक हमारे रिटेल ऋणों का सवाल है, तो वे 14 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं। वेतनभोगी ग्राहकों के लिए, एक महीने में वृद्घि लगभग 6,000 करोड़ रुपये की रही है, जो हमारे द्वारा मंजूर ऋणों के मुकाबले करीब 1,000 करोड़ रुपये ज्यादा है।
जब बात असुरक्षित व्यक्तिगत ऋणों और एक्सप्रेस क्रेडिट लोन की हो तो हमने मंजूरियों और वितरण में अच्छा सुधार दर्ज किया है। सितंबर में, पर्सनल लोन स्पेस में हमने सालाना आधार पर 55 प्रतिशत की वृद्घि देखी। लेकिन वितरण में 61 प्रतिशत तक का इजाफा हुआ। इसी तरह, आवास ऋण खंड में हमने 49 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज की थी।
क्या आप पुनर्गठन के लिए प्रस्तावों में तेजी देख रहे हैं?
हमें बड़ी चुनौती नहीं दिख रही है। हमने उन ग्राहकों को असुरक्षित ऋण दिए हैं जिन्होंने अपने वेतन खातों को मैंटेन बनाए रखा है। वे या तो सरकारी क्षेत्र की अच्छी कंपनियों से हैं, या सार्वजनिक क्षेत्र से।
आप अपनी ऋण वसूली कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं?
एक है इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकग्रप्सी कोड। अन्य हैं पुनर्गठन व गैर-डिस्क्रेशनरी एकमुश्त निपटान योजनाएं। इन सभी के रास्ते अलग अलग हैं। हमने इस तिमाही के शुरू में भी एक बड़ा समाधान देखा। इसके अलावा, सभी बैंकरों द्वारा बड़े खातों का समाधान एनसीएलटी से बाहर निकाले जाने की कोशिश हो रही है। जब बात छोटे खातों की हो तो हम लोगों को एकमुश्त निपटान के लिए आगे जाने को प्रोत्साहित कर रहे हैं।
वित्तीय क्षेत्र में ऐसे कई बड़े खाते हैं जिनमें समाधान की संभावना तलाशी जा रही है। लेकिन इनमें कानूनी प्रक्रिया की वजह से विलंब हो सकता है। इसे लेकर आपकी क्या राय है?
ऐसे मामलों में, एक विस्तृत प्रक्रिया तैयार की जा रही है। ऐसे खातों के लिए दी गई समय-सीमा काफी ज्यादा सख्त है। हमारी कोशिश तेज समाधान देखने की है।
कोविड महामारी और ‘वर्क-फ्रॉम-होम’ के संदर्भ में क्या आप बड़े बदलाव के लिए कोई खास नीति बना रहे हैं?
हमने 2017 में ‘वर्क-फ्रॉम-होम’ नीति पर अमल किया था। मौजूदा महामारी से हमें इस नीति का लाभ उठाने में मदद मिली है। हमने अपनी नीति को ‘वर्क फ्रॉम एनीव्हेयर’ में तब्दील किया है। इस प्रक्रिया में हमने कुछ गैर-ग्राहक गतिविधियों को भी डिजिटल स्वरूप मुहैया कराया है। हम हर किसी के लिए हमेशा वर्क-फ्रॉम-होम नीति पर कायम नहीं रह सकते, क्योंकि हम ग्राहक-केंद्रित संगठन हैं और हमें ग्राहकों से जुड़े रहने की जरूरत है।
योनो का भविष्य क्या है? क्या आप इसे सूचीबद्घ करा रहे हैं?
हम विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। जब योनो को पेश किया गया था, तो इसका मकसद था कि इसे बैंकों के उत्पादों के लिए एक प्रमुख वितरण प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा। यदि ऐसी नई योजना होगी तो हम निश्चित तौर पर उसे साझा करेंगे।
कोविड के बाद बैंकिंग में किस तरह का बदलाव आएगा?
कोविड समाप्त हो जाने के बाद लोगों के साथ बैठकों पर शायद फिर से ध्यान दिया जाएगा। लेकिन पिछले समय में इन बैठकों के स्वरूप के मुकाबले भविष्य में बड़ा बलाव आएगा।